यह कहानी एक छोटे से गाँव के पास स्थित उस रहस्यमय जंगल की है, जिसे अब 'रूहों का जंगल' कहा जाता है। यह जंगल पहले एक खूबसूरत और शांतिपूर्ण जगह थी, लेकिन पिछले कुछ दशकों से इसे किसी अनजान शक्ति ने घेर लिया था। गाँववालों का मानना था कि जंगल में एक खौ़फनाक आत्मा का वास है, जो किसी को भी अंदर घुसने नहीं देती थी। कहते थे कि हर पेड़ और झाड़ी में कोई न कोई भूत-प्रेत छुपा हुआ है, जो जंगल में आने वाले लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेता था।
एक दिन, गाँव में एक युवक नामक सूरज आया, जो एक साहसी व्यक्ति था और रहस्यमय चीजों का पीछा करना उसे बहुत भाता था। सूरज ने सुना था कि 'रूहों का जंगल' में विचित्र घटनाएँ होती हैं और बहुत से लोग बिना कोई पता छोड़े वहां से गायब हो जाते हैं। उसने तय किया कि वह इस जंगल का रहस्य उजागर करेगा। सूरज के मन में जंगल के प्रति जिज्ञासा और साहस ने उसे इस खतरनाक यात्रा पर भेज दिया था, लेकिन गाँववालों ने उसे चेतावनी दी कि वह इस रास्ते पर न चले।
सूरज ने जंगल में जाने का दिन निर्धारित किया। लोग उसे बहुत समझाते रहे, लेकिन सूरज का उत्साह उसे रोकने वाला नहीं था। एक अंधेरी शाम को, सूरज ने अपने कदम उस जंगल की ओर बढ़ाए। जैसे ही वह जंगल में घुसा, उसे हवा में एक अजीब सी घबराहट महसूस होने लगी। हवा में एक ठंडक थी, और पेड़ों की शाखाओं से कुछ अजीब आवाजें आ रही थीं। सूरज ने सोचा कि ये सब बस उसके डर का नतीजा है, लेकिन उसकी आशंका और भी बढ़ने लगी।
जंगल में जितना वह अंदर बढ़ता गया, उतना ही माहौल और भयावह होता गया। पेड़ों की शाखाएँ मानो उसे घेर रही थीं और जमीन पर गिरती पत्तियाँ जैसे कोई उसे देख रही हो। सूरज का दिल अब तेज़ी से धड़कने लगा था, लेकिन उसने खुद को संभाला और आगे बढ़ता गया। तभी, एक अजीब सी आवाज आई, जैसे किसी ने उसके कानों में फुसफुसाते हुए कहा हो, "तुम यहाँ क्यों आए हो?" सूरज का दिल धड़कने लगा, वह डर से जकड़ा हुआ महसूस कर रहा था, लेकिन उसने अपनी घबराहट पर काबू पाकर सुनी हुई आवाज़ को नकारा करने की कोशिश की।
सूरज ने डरते हुए इधर-उधर देखा, लेकिन कोई नहीं था। अचानक, उसे महसूस हुआ कि जैसे कोई चीज़ उसकी पीठ पर नज़र रख रही हो। उसने अपने कदम तेज़ कर दिए, लेकिन जितना वह तेज़ चलता, उतना ही जंगल और भयावह हो जाता। पेड़ों के बीच से उसे किसी की घबराई हुई साँसें सुनाई दे रही थीं, जैसे कोई उसे खींचने की कोशिश कर रहा हो। सूरज के शरीर में हलचल मच गई, उसे ऐसा महसूस होने लगा जैसे वह किसी अंधेरे जाल में फंस चुका है।
सूरज ने सोचा कि उसे अब वापस लौट जाना चाहिए, लेकिन जैसे ही वह मुड़ा, सामने एक कटा हुआ सा चेहरा प्रकट हुआ। वह चेहरा इतना भयानक था कि सूरज के शरीर में कंपकंपी दौड़ गई। उस चेहरे के आँखों से खून की बूँदें गिर रही थीं, और उसकी मुस्कान में एक दर्दनाक झलक थी। सूरज उस अजनबी चेहरे से डरकर भागने लगा, लेकिन वह और तेज़ी से उसके पीछे आने लगा। उसके कदम तेज़ हो गए, लेकिन वह चेहरा एक रहस्यमय तरीके से उसके करीब आता गया।
सूरज को महसूस हुआ कि यह चेहरा किसी जीवित इंसान का नहीं था। वह एक भूतिया आत्मा थी, जो जंगल में बंदी थी। वह आत्मा सूरज के पास पहुँचते हुए बोली, "तुमने मेरी शांति को तोड़ा है, अब तुम्हें मेरी सजा भुगतनी होगी।" सूरज ने भागने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने कदम बढ़ाया, उसकी आँखों के सामने जंगल की हर शाखा और पेड़ रुक गए थे। अब वह किसी जाल में फंस चुका था। यह समझते हुए कि अब बचने का कोई रास्ता नहीं था, सूरज का दिल और भी तेज़ धड़कने लगा।
वह आत्मा धीरे-धीरे सूरज के पास आई और उसके चेहरे को छूते हुए कहा, "तुमने मेरे जैसे कई लोगों की आत्माओं को तंग किया है। अब तुम मेरी बंदी बनोगे।" सूरज की आँखों में आंसू थे, लेकिन उसके पास कोई रास्ता नहीं था। वह आत्मा उसे अपने साथ जंगल के गहरे भाग में ले गई, जहाँ अब तक कोई भी वापस नहीं लौटा था। सूरज की हालत ऐसी हो गई थी जैसे उसके शरीर और आत्मा दोनों ही उस आत्मा के काबू में थे। अब उसे महसूस हुआ कि वह जंगल सिर्फ एक शापित स्थान नहीं था, बल्कि एक अंधेरे जाल था, जिसमें हर कोई एक-एक करके फंस जाता था।
अगले दिन, गाँववालों ने देखा कि सूरज का कहीं पता नहीं था। उन्होंने जंगल में ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वह कहीं भी नहीं मिला। लोग समझ गए कि सूरज भी अब 'रूहों के जंगल' का हिस्सा बन चुका था। तब से, कोई भी उस जंगल के पास नहीं जाता था। लेकिन जो लोग कभी उस जंगल में जाते हैं, वे कभी वापस नहीं लौटते। गाँववाले अक्सर सूरज और उन अन्य लोगों के बारे में सोचते थे, जो जंगल की अंधेरी गहराईयों में खो गए थे, और डर से उनका दिल कांप उठता था।
समय बीतने के साथ, जंगल की भयावहता और बढ़ गई थी। लोग अब और भी डरते थे और कभी भी उस जंगल की ओर रुख नहीं करते थे। कभी-कभी कुछ आवाजें सुनाई देती थीं, जैसे उस जंगल के भीतर कोई पगों के निशान छोड़ते हुए चलता हो। सूरज की आत्मा अब भी जंगल में भटकती हुई महसूस होती थी, और गाँववालों का विश्वास था कि वह आत्मा अपनी शांति के लिए अन्य निर्दोष आत्माओं को अपनी गिरफ्त में लेती रहती है।