यह कहानी एक साधारण युवक राजीव की है, जो अपने जीवन में खुश था और किसी भी डर से अनजान था। एक दिन उसने अपने दोस्तों से एक पुरानी हवेली के बारे में सुना, जो कि "भूतिया हवेली" के नाम से प्रसिद्ध थी। लोग कहते थे कि वहाँ एक आत्मा रहती है, जो रात के समय किसी के पीछे पड़ जाती है। लोग यह भी कहते थे कि जो भी उस हवेली में जाता है, वह कभी बाहर नहीं निकलता। लेकिन राजीव इन अफवाहों को सिर्फ मजाक समझता था।
राजीव ने यह सब मजाक समझा और यह तय किया कि वह उस हवेली का दौरा करेगा। एक रात, वह अपने दोस्त साहिल के साथ उस हवेली में गया। हवेली का माहौल काफी खौ़फनाक था। दीवारों पर मटमैले धब्बे और जाले लगे हुए थे। हवेली की छत जगह-जगह से टूटी हुई थी और बत्तियां जलती नहीं थीं। हवा में एक अजीब सी खामोशी थी, जैसे कुछ होने वाला हो।
जैसे ही राजीव और साहिल हवेली में प्रवेश करते हैं, दोनों को महसूस हुआ कि कुछ बहुत अजीब हो रहा है। हवा में सर्दी बढ़ने लगी और अचानक कुछ ध्वनियाँ आने लगीं, जैसे कोई कदम रख रहा हो। साहिल डरते हुए बोला, "राजीव, हमें यहाँ से जल्दी जाना चाहिए। कुछ ठीक नहीं है।" लेकिन राजीव ने साहिल की बातों को नकारते हुए कहा, "तुम्हें लगता है कि यह सिर्फ अफवाहें हैं। हम देखेंगे कि क्या सच है।"
हवेली की पुरानी लकड़ी की फर्श चरचरा रही थी, जैसे हर कदम के साथ हवेली की दीवारें बुरी तरह से चिघड़ी जा रही थीं। अचानक, एक तेज़ चीख सुनाई दी और राजीव के चेहरे का रंग उड़ गया। वह मुड़ा और देखा कि हवेली के एक अंधेरे कोने से एक सफेद साड़ी पहने हुए एक महिला की आकृति निकलती हुई दिखी। उसकी आँखें जलती हुई थीं और उसका चेहरा विकृत था। वह आत्मा धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ने लगी, और जैसे ही वह पास आई, उसकी आवाज़ गूंजने लगी, "तुम मेरे रास्ते में क्यों आए हो?"
साहिल डर से कांपते हुए बोला, "यह कौन है, राजीव?" लेकिन राजीव के पास जवाब नहीं था। वह अपनी जगह पर जड़ हो चुका था। आत्मा की आवाज में गुस्सा और दर्द था। "तुम दोनों मुझे शांति नहीं दे सकते, क्योंकि तुमने मेरी हत्या के बाद भी यहाँ आकर मुझे फिर से परेशान किया है। अब तुम्हें मेरी सजा भुगतनी होगी।"
राजीव के दिल में डर समा गया, लेकिन उसने साहस जुटाया और आत्मा से कहा, "अगर तुमने हमें शांति दी, तो हम तुम्हारी मदद करेंगे। हमें बताओ, तुम क्यों परेशान हो?" आत्मा ने कहा, "मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया था, लेकिन एक आदमी ने मुझे धोखे से मार डाला। मेरे शरीर को किसी ने छुपा दिया और मुझे शांति नहीं मिली।"
राजीव ने साहिल से कहा, "हमें उसे शांति देनी होगी, तभी यह आत्मा हमें छोड़ सकती है।" उन्होंने मिलकर उस आत्मा की मदद के लिए एक पुराना वचन लिया। वे दोनों गाँव के एक पंडित के पास गए, जिन्होंने बताया कि आत्मा को शांति तब मिलेगी जब उसकी असली कब्र को खोजकर उसे सम्मानित किया जाएगा। पंडित ने राजीव और साहिल को बताया कि यह आत्मा काफी समय पहले उस हवेली में मर गई थी और उसका शरीर कहीं दबा हुआ था।
पंडित की मदद से राजीव और साहिल ने उस आत्मा के शरीर को खोज निकाला। वे रात को गांव के बाहर पुरानी हवेली के पास गए, जहां उन्हें गहरे जंगल में एक पुरानी बोरवेल मिली। यह वही स्थान था जहां आत्मा की हत्या की गई थी। यह जगह इतनी सुनसान थी कि राजीव और साहिल ने सोचा कि शायद यह वह स्थान था, जहां आत्मा को बुरी तरह मारकर छिपा दिया गया था।
जब उन्होंने बोरवेल के पास खुदाई करना शुरू किया, तो उन्हें एक कड़ी लाश मिली, जो लंबे समय से दफनाई गई थी। उस शरीर के पास एक लाल कपड़ा बंधा हुआ था, जो उस आत्मा की पहचान को दर्शाता था। राजीव और साहिल ने उस शव को धीरे-धीरे बाहर निकाला और उसे सही तरीके से दफनाने का निर्णय लिया।
राजीव ने सोचा, "यदि हम इस आत्मा को शांति देते हैं, तो वह हमें छोड़ेगी।" उन्होंने शव को दफनाने के बाद, पंडित की मदद से एक पूजा की। पूजा के बाद, वह भूतिया आत्मा शांत हो गई और अपनी यात्रा पर चली गई। हवेली के अंदर अब कोई आवाज़ नहीं थी। हवेली की दीवारों पर फिर से एक सुकून था। वह माहौल बिल्कुल बदल चुका था। जैसे ही आत्मा को शांति मिल गई, हवेली के अंदर की सर्दी गायब हो गई और हवेली की पुरानी दीवारों में हलकी सी रौशनी आ गई।
राजीव और साहिल ने देखा कि अब हवेली में कोई डर नहीं था। वे दोनों हवेली से बाहर निकलने लगे। जब वे बाहर आए, तो साहिल ने कहा, "राजीव, मैं कभी नहीं सोचता था कि हम इस काम को इतने आसानी से पूरा कर पाएंगे।" राजीव हंसते हुए बोला, "कभी-कभी हमें कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, ताकि हम सच का पता लगा सकें। और अब हम उस आत्मा को शांति दे पाए हैं।"
गाँव के लोग जब यह सब जानने आए, तो उन्होंने कहा, "आज से वह हवेली फिर से सुरक्षित हो गई है। कोई भी अब वहां डरने नहीं जाएगा। तुम दोनों ने जो किया है, वह बहुत साहसिक था।" राजीव और साहिल को अपने काम पर गर्व था, लेकिन उन्हें यह एहसास हुआ कि यह सब उनके साहस और समर्पण की वजह से हुआ था।