यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जो किसी अजीब सी रहस्यमयी आंधी के कारण बर्बाद हो गया। गाँव में यह अफवाह फैल चुकी थी कि हर साल एक भूतिया आंधी आती है, जो न केवल तबाही मचाती है, बल्कि लोगों के जीवन को नर्क बना देती है। गाँव वाले इसे "भूतिया आंधी" कहते थे। यह आंधी किसी साधारण तूफान जैसी नहीं थी; यह एक खौ़फनाक और भूतिया ताकत से भरी होती थी। लोग कहते थे कि इस आंधी के आने से पहले ही गाँव के आसपास कुछ अजीब घटनाएँ घटती थीं, जैसे कुछ लोग अचानक गायब हो जाते, घरों के दरवाजे-खिड़कियाँ अपने आप खुल जातीं, और रात को अजीब से आवाज़ें सुनाई देतीं।
एक दिन, गाँव के बाहर के इलाके में एक नया परिवार आया। यह परिवार एक छोटे से मकान में बसने आया था, जो उन दिनों खाली पड़ा हुआ था। परिवार के सदस्य, श्रीवास्तव जी और उनकी पत्नी, सुषमा, ने सुना था कि इस गाँव में कुछ अजीब घटनाएँ घटती हैं, लेकिन उन्होंने इसे अफवाह समझा। वे बिल्कुल भी नहीं जानते थे कि यह गाँव एक खौ़फनाक इतिहास से जुड़ा हुआ था। गाँव वालों ने उन्हें सिखाया था कि भूतिया आंधी से बचने के लिए सभी को अपने घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ बंद रखनी चाहिए, लेकिन श्रीवास्तव जी ने इसे पूरी तरह से नकार दिया।
एक रात, जब पूरी दुनिया सो रही थी, अचानक एक जोर की आंधी ने गाँव को घेर लिया। यह आंधी इतनी भयानक थी कि जैसे आसमान और धरती आपस में टकरा गए थे। आंधी की आवाज़ इतनी तेज थी कि श्रीवास्तव जी और सुषमा के कानों में दर्द होने लगा। वह डर के मारे घर के अंदर एक-दूसरे के पास खड़े थे। आंधी में अचानक कुछ अजीब सा शोर सुनाई देने लगा। यह आवाज़ किसी मानव की नहीं, बल्कि किसी डरावनी ताकत की थी। घर की खिड़कियाँ बंद होने के बावजूद, हवा तेज़ी से अंदर घुसने लगी। ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई invisible ताकत घर के अंदर घुसने की कोशिश कर रही हो।
श्रीवास्तव जी ने दरवाजे को कसकर पकड़ लिया, लेकिन फिर भी हवा की तेज़ लहरें दरवाजे को खोलने की कोशिश कर रही थीं। वह समझ गए थे कि यह कोई साधारण आंधी नहीं है। तभी, घर की खिड़कियाँ एक जोर से बंद हो गईं और भीतर एक अजीब सी ठंडी हवा बहने लगी। सुषमा ने अचानक महसूस किया कि हवा में एक अजीब सी गंध फैलने लगी थी, जैसे किसी पुराने कब्रिस्तान से आ रही हो। वह घबराकर बोली, "यह तो किसी शैतान की आंधी लगती है।" उनकी बात खत्म होते ही, आंधी की तेज़ आवाज़ में एक और खौ़फनाक चीख़ सुनाई दी। यह चीख़ किसी इंसान की नहीं थी, बल्कि एक भूतिया आत्मा की आवाज़ थी।
श्रीवास्तव जी और सुषमा के दिलों की धड़कनें तेज़ हो गईं। वे यह समझ चुके थे कि यह आंधी एक भूतिया ताकत के कारण आ रही थी, जो उनके परिवार को शिकार बनाने आई थी। रात भर, यह आंधी गाँव के एक-एक घर को अपनी चपेट में लेती रही। घरों की छतें उड़ने लगीं, पेड़ गिरने लगे और हर चीज़ बिखर गई। गाँव वाले घरों में बंद होकर डरे हुए थे, लेकिन किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि यह आंधी क्यों आई और कब रुकेगी। धीरे-धीरे, लोग यह मानने लगे कि यह आंधी किसी आत्मा या शैतान का बदला हो सकती है। एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि आंधी के साथ जो आवाजें आ रही थीं, वह उन आत्माओं की थीं जिन्होंने अपने जीवन में कभी शांति नहीं पाई।
अगले दिन, जब आंधी शांत हुई, तो गाँव में हर जगह तबाही का मंजर था। सड़कें टूट चुकी थीं, पेड़ गिर गए थे, और कई घरों की छतें उखड़ी हुई थीं। कुछ लोग मानते थे कि जो भी उस रात आंधी का सामना करता है, उसकी जिंदगी में कुछ बुरी घटनाएँ घटित होती हैं। श्रीवास्तव जी और सुषमा ने भी अपने घर के अंदर बहुत सी अजीब चीज़ें पाई। उन्होंने महसूस किया कि आंधी के दौरान घर के अंदर कुछ अदृश्य ताकतें मौजूद थीं। वे समझ नहीं पाए कि क्या हुआ था, लेकिन उन्हें यह एहसास हो गया कि यह घटना केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं थी।
सुषमा ने बताया कि रात में उसने देखा था कि एक धुंआ-धुंआ साया उसके कमरे में दाखिल हुआ था। वह एक भूतिया आत्मा थी, जो उसकी जान लेने के लिए आई थी। सुषमा के माथे पर पसीना आ गया। डर के मारे, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और मंत्र पढ़ने शुरू कर दिए। जब सुषमा ने मंत्र का उच्चारण किया, तो वह आत्मा अचानक गायब हो गई। इस घटना के बाद, सुषमा और श्रीवास्तव जी दोनों यह समझ गए कि उस रात आंधी सिर्फ एक चेतावनी थी। यह घटना न केवल उनके लिए बल्कि पूरे गाँव के लिए एक सबक थी।
इसके बाद से, गाँव वालों ने पूरी तरह से मान लिया कि इस गाँव में भूतिया आंधी आना एक चेतावनी थी और वे अब और सतर्क हो गए थे। उन्होंने आंधी से बचने के लिए अपने घरों में तंत्र-मंत्र करने वाले पुरोहितों को बुलाया और गाँव में सुरक्षा के उपायों की योजना बनाई। गाँव के लोग अब अजनबी घटनाओं को हल्के में नहीं लेते थे और हर साल भूतिया आंधी के आने के समय को लेकर सचेत रहते थे।