यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ रात के अंधेरे में भूतिया घटनाएं घटने लगी थीं। गाँव के बाहर एक पुरानी हवेली खड़ी थी, जो लंबे समय से खाली पड़ी थी। कहते हैं कि वह हवेली कभी किसी बड़े व्यापारी की थी, जिसने अपने परिवार के साथ वहाँ मौत को गले लगाया था। लेकिन कोई नहीं जानता था कि किस वजह से उस हवेली में मौत आई थी।
एक दिन, गाँव में एक युवक रामू नामक लड़का आया, जिसे इस पुरानी हवेली के बारे में बहुत कुछ सुनने को मिला था। वह इस खौ़फनाक जगह को देखने का मन बना चुका था। उसे यह आशा थी कि शायद कुछ रहस्यमय घटनाएं उसके जीवन का हिस्सा बनें और वह इस कहानी को दुनिया तक पहुँचा सके।
रामू जब हवेली के पास पहुँचा, तो उसे कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई देने लगीं। वह धीमे कदमों से हवेली के भीतर प्रवेश कर गया। अंदर का दृश्य बेहद भयानक था। चारों ओर जलती हुई लकड़ियों की राख बिखरी हुई थी, जैसे कहीं कोई आग लगी हो। लेकिन उस समय हवेली में कोई आग नहीं थी। अचानक, रामू ने देखा कि कुछ जलती हुई आत्माएँ हवेली के कोनों में घुम रही थीं, उनके शरीर से आग की लपटें निकल रही थीं। वे आत्माएँ अपने जलते हुए शरीर के साथ रामू को घूर रही थीं, जैसे कोई उसे जलाकर मारने की धमकी दे रही हो।
"तुम यहाँ क्यों आए हो?" एक जलती हुई आवाज़ आई। रामू ने देखा कि एक कटी-फटी आत्मा उसके सामने खड़ी थी। उसके शरीर से आग की लपटें उठ रही थीं और उसका चेहरा विकृत हो चुका था। "यह जगह हमें कभी शांति नहीं देने वाली," आत्मा ने कहा।
रामू ने डर के मारे एक कदम पीछे खींचा, लेकिन वह आत्मा उसके पास आ गई। "तुम्हारी क़िस्मत बहुत खराब है, तुम यहाँ से नहीं जा सकते," उसने धमकी दी। रामू ने हिम्मत जुटाई और पूछा, "तुमसे क्या चाहते हो?" आत्मा ने जवाब दिया, "तुम हमारी मदद कर सकते हो, तुम हमें आग से मुक्ति दिला सकते हो, लेकिन इसके लिए तुम्हें अपनी जान की बाजी लगानी पड़ेगी।"
रामू ने डरते हुए कहा, "मैं क्या कर सकता हूँ?" आत्मा ने फिर से कहा, "यह आग जो तुम्हें दिखाई दे रही है, यह उस व्यापारी की है जिसने हमें जलाया था। हमें शांति तभी मिल सकती है, जब तुम हमारे जलते हुए शरीरों को सही स्थान पर दफन करोगे।"
रामू ने आत्माओं से पूछा, "कहाँ दफन करूँ?" आत्मा ने रास्ता दिखाया। रामू ने वहाँ पहुंचकर एक गहरी खुदाई की और उन जलती आत्माओं के जलते हुए शरीरों को वहाँ दफना दिया। जैसे ही वह इस कार्य को पूरा करता है, एक तेज़ बयार चलने लगी और हवेली की दीवारों से एक खौ़फनाक आवाज़ आई। आत्माएँ अब शांति से दफन हो चुकी थीं और उनकी जलती हुई लपटें धीरे-धीरे शांत हो गईं। रामू ने राहत की सांस ली।
वह वहाँ से वापस लौट आया, लेकिन अब वह जानता था कि उस हवेली में जो कुछ भी हुआ था, वह सब एक खौ़फनाक सत्य था। रामू ने उस दिन के बाद कभी उस हवेली का रुख नहीं किया, और उस डरावनी घटना को याद करते हुए उसने यह सीख ली कि अगर किसी आत्मा को शांति न मिले, तो वह कभी भी किसी को चैन से नहीं रहने देती।
लेकिन रामू की ज़िंदगी में एक और मोड़ आने वाला था। कुछ हफ्तों बाद, एक रात उसे उस हवेली में जलते हुए चेहरों की छायाएँ फिर से दिखाई दीं। यह वह आत्माएँ थीं, जिन्होंने उसे पहले सहायता के लिए पुकारा था। वे उसे वापस बुला रही थीं। रामू ने हिम्मत जुटाई और सोचा कि अब वह अपनी जान की कीमत पर भी इन आत्माओं की मदद करेगा।
एक रात, रामू फिर से उस हवेली में पहुँचा। वह आत्माओं के बुलावे का कारण जानता था कि वे शांति नहीं पा सकी थीं। जब वह हवेली के भीतर गया, तो वहां की हवा में गहरी उदासी और जलने की गंध थी। उसकी हिम्मत टूटने लगी थी, लेकिन उसने ठान लिया था कि अब वह इन आत्माओं को शांति देगा।
उस रात, हवेली में अजीब घटनाएँ घटीं। दीवारों से आवाजें आ रही थीं, और धुएं का गुबार कमरे में फैलने लगा था। अचानक एक आत्मा ने उसे दिखाई दी, और उसकी आँखों में गहरी पीड़ा और उम्मीद थी। "तुमने हमें एक बार शांति दी थी, लेकिन हमें अभी भी अपनी सजा का सामना करना बाकी है," आत्मा बोली।
रामू ने पूछा, "क्यों? तुमने तो जलते हुए शरीरों को दफन कर दिया था, फिर अब क्यों परेशान हो?" आत्मा बोली, "हमारे साथ जो अन्याय हुआ था, वह पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ। व्यापारी ने हमारे साथ धोखा किया और हमें जलाकर मार डाला। हमारी आत्माएँ तब तक शांति नहीं पा सकतीं जब तक हमारे क़ातिल का सामना न हो।"
रामू ने फिर एक बार साहसिक कदम उठाने का निर्णय लिया। उसने उस व्यापारी का नाम और उसकी मौत के कारण का पता लगाया। इसके बाद, वह उसी स्थान पर गया जहाँ व्यापारी की समाधि थी। वहां उसने व्यापारी के शरीर को सही ढंग से दफन किया और साथ ही आत्माओं से वादा किया कि उनका क़ातिल अब जवाबदेह होगा।
जैसे ही वह काम पूरा करता है, एक तूफान आया और हवेली की दीवारें चुरमुरा गईं। आत्माएँ पूरी तरह से शांति पा चुकी थीं, और हवेली से जलने की गंध अब समाप्त हो गई। रामू ने देखा कि वह आत्माएँ अब अपनी असल शांति में आराम पा चुकी थीं। वह खुश था कि उसने उनका क़त्ल करने वाले का सामना किया और उनकी क़िस्मत को सही दिशा दी।
उस दिन के बाद, रामू ने उस हवेली में एक मंदिर बनवाया, जहाँ लोग शांति के लिए प्रार्थना करने आने लगे। हवेली अब एक भयावह जगह नहीं रही, बल्कि एक जगह बन गई जहाँ लोग शांति की खोज करते थे। रामू ने इस भूतिया हवेली में एक नया अध्याय लिखा।