यह कहानी एक छोटे से गाँव के पास की एक पुरानी ट्रेन की है, जिसे "भूतिया ट्रेन" कहा जाता था। लोग कहते थे कि रात के समय यह ट्रेन हमेशा एक खौ़फनाक रास्ते पर चलती थी और जिन लोगों ने इसे देखा, वे कभी वापस नहीं लौटे। कुछ लोगों ने दावा किया कि इस ट्रेन के अंदर भूत-प्रेतों का वास था और उसके हर यात्री को अपनी चपेट में ले लेता था। उन सबकी कहानियाँ आज भी गाँव में सुनाई जाती हैं, लेकिन कोई भी उस रास्ते पर जाने की हिम्मत नहीं करता था।
एक दिन, सुनील नामक एक युवक, जो साहसी था और नए अनुभवों की तलाश में था, इस ट्रेन के बारे में सुनी थी। वह जानता था कि अगर वह इस ट्रेन को देख पाए, तो वह गाँव के सबसे बड़े रहस्य को सुलझा सकता है। सुनील का दिल हमेशा रोमांच से भरा रहता था, और इस रहस्य ने उसे और भी उत्साहित कर दिया। एक रात, जब चाँद की रोशनी धुंधली थी, सुनील ने अपने दोस्तों से कहा कि वह भूतिया ट्रेन को देखने जाएगा।
दोस्तों ने उसे चेतावनी दी, "यह रास्ता तुम्हारे लिए नहीं है। लोग कहते हैं कि उस ट्रेन में एक भूतनी है, जो हर यात्री को अपनी चपेट में ले लेती है।" लेकिन सुनील नहीं माना। वह केवल इतना जानता था कि उसे सच्चाई का पता लगाना है। उसकी जिज्ञासा ने उसे पूरी तरह से उस रास्ते पर जाने के लिए मजबूर किया। उसने तय किया कि वह खुद देखेगा और सच्चाई का पता लगाएगा।
सुनील रात के करीब 12 बजे रेलवे स्टेशन पर पहुँचा, जहाँ से यह भूतिया ट्रेन गुजरती थी। स्टेशन पूरी तरह से सुनसान था। चारों ओर चाँद की मद्धम रोशनी थी, लेकिन स्टेशन पर कोई नहीं था। अचानक, कुछ दूर से एक ट्रेन की आवाज आई। वह ट्रेन धीरे-धीरे स्टेशन की ओर बढ़ रही थी, लेकिन उसका आकार बहुत अजीब था। यह ट्रेन किसी भी सामान्य ट्रेन से बिलकुल अलग थी।
ट्रेन के दरवाजे पुराने और जंग लगे थे, और उसकी खिड़कियाँ धुंधली थीं। अजीब सा धुंआ और सर्द हवा ट्रेन के आसपास फैला हुआ था। सुनील ने देखा कि ट्रेन की लाइटें बहुत हल्की थीं, और गाड़ी के इंजन से निकलने वाली आवाजें इतनी अजीब थीं कि वे किसी को भी डराने के लिए काफी थीं। स्टेशन की खामोशी को तोड़ते हुए ट्रेन के पहिये अचानक रुकने लगे। सुनील का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, लेकिन उसने खुद को काबू में रखा।
जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर पहुँची, उसकी दरवाजे खुल गए और एक साया ट्रेन में से बाहर निकला। सुनील ने उसे ध्यान से देखा, तो वह एक महिला की आत्मा थी। उसका चेहरा पूरी तरह से फीका था और आँखें जलती हुई थीं। उसकी सफेद साड़ी हवा में उड़ रही थी, और उसके पैरों के नीचे कभी ध्वनि नहीं होती थी। उसकी उपस्थिति इतनी भयावह थी कि सुनील के होश उड़ गए। वह साया बिना किसी आवाज के उसके सामने खड़ा था, जैसे वह उसे घेरने आ रहा हो।
भूतनी ने सुनील को देखा और कहा, "तुमने मेरे रास्ते में आने की हिम्मत कैसे की?" उसकी आवाज़ में एक अजीब सा गूंज था, जो सुनील के दिल को दहला देने के लिए काफी था। सुनील का दिल जोर जोर से धड़कने लगा, लेकिन उसने डर को खुद पर हावी नहीं होने दिया। वह बोला, "मैं सच्चाई जानना चाहता हूँ। यह ट्रेन क्यों आती है? कौन हो तुम?" उसकी आवाज में जो दृढ़ता थी, वह इस खौ़फनाक अनुभव के बीच भी उसकी जिज्ञासा को जिंदा रखे हुए थी।
भूतनी ने एक गहरी सांस ली और कहा, "मैं एक यात्री थी, जो इस ट्रेन में चढ़ी थी। लेकिन यह ट्रेन मुझे कभी नहीं छोड़ पाई। मैं अब तक इस ट्रेन के साथ बंधी हुई हूँ, और जो कोई भी इसे देखता है, उसे भी इस ट्रेन में बंधन में लाकर उसकी आत्मा को अपना हिस्सा बना लेती है।" उसने सुनील की आँखों में गहरी निगाह से देखा और एक घना सन्नाटा फैला गया। सुनील के भीतर एक अजीब सी भावना पैदा हुई, जैसे वह भी अब इस ट्रेन के चक्रव्यूह में फंस चुका हो।
सुनील अब पूरी तरह से समझ चुका था कि इस ट्रेन में कुछ अजीब और खौ़फनाक था। उसने साहस जुटाया और भूतनी से पूछा, "क्या तुम मुझे इस ट्रेन से बाहर जाने का रास्ता बता सकती हो?" भूतनी ने कुछ देर सोचा और फिर कहा, "तुम्हें इस रास्ते से बचने का एक ही तरीका है। तुम्हें मेरी आत्मा को शांति देनी होगी। मुझे मेरे पुराने शरीर से मुक्त करना होगा, ताकि यह ट्रेन फिर कभी न आए।" उसकी बातों में कुछ ऐसा था कि सुनील को यह समझ में आ गया कि यह ट्रेन सिर्फ एक ट्रेन नहीं, बल्कि एक शापित जगह थी।
सुनील ने समझ लिया कि उसे इस आत्मा को शांति देनी होगी। वह तुरंत गाँव के एक बुजुर्ग पुजारी के पास गया और उससे मदद माँगी। पुजारी ने उसे गंभीरता से देखा और बताया कि आत्मा को शांति देने के लिए उसे अपनी अंतिम इच्छाएँ पूरी करनी होंगी। सुनील और पुजारी ने एक पूजा आयोजित की और आत्मा को शांति दी। पूजा के दौरान चारों ओर हल्की सी रोशनी छाई और एक अजीब शांति फैली। जैसे ही पूजा पूरी हुई, भूतनी की आत्मा धीरे-धीरे सुला दी गई, और उसकी रोशनी गायब हो गई।
पूजा के बाद, वह भूतिया ट्रेन और उसका साया अब कभी दिखाई नहीं दिया। सुनील ने सबको बताया कि वह जो भूतिया ट्रेन थी, अब वह अब पूरी तरह से शांत हो चुकी थी। उसके बाद उस ट्रेन का रास्ता भी बंद हो गया, और अब उस स्थान पर कोई नहीं जाता। सुनील को यह एहसास हुआ कि उसने न केवल उस रहस्य को सुलझाया था, बल्कि गाँव के लोगों को एक खौ़फनाक कहानी से भी मुक्ति दिलाई थी।