यह कहानी एक छोटे से गाँव में स्थित एक पुराने और सुनसान घर की है। घर का नाम 'अंधेरे में घूमती आत्मा' था, और इसका कारण था एक भूतिया आत्मा, जो रात को इस घर में घूमती थी। यह आत्मा किसी के प्रिय व्यक्ति की आत्मा नहीं थी, बल्कि एक ऐसी आत्मा थी जिसे अब तक किसी ने सुला नहीं पाया था।

गाँव में लोग कहते थे कि इस घर का निर्माण बहुत साल पहले हुआ था, और घर के मालिक, जिनका नाम था रघु, एक दिन अचानक ही गायब हो गए। लोग मानते थे कि रघु ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में एक भयानक कर्म किया था, जिसके कारण उसकी आत्मा अब तक चैन नहीं पा सकी थी। घर के आसपास के लोग अक्सर रात को घर से अजीब आवाजें सुनते थे, जैसे किसी के पैरों की आवाजें और कभी-कभी चिल्लाने की आवाजें।

एक दिन, गाँव में एक युवक आया, जिसका नाम था विशाल। वह एक साहसी व्यक्ति था और हर तरह के भूतिया और अजीब घटनाओं के बारे में जानने की ख्वाहिश रखता था। विशाल ने सुना था कि उस घर में रात को एक भूतिया आत्मा घूमती है, और उसने ठान लिया कि वह इस रहस्य का पर्दाफाश करेगा।

विशाल ने शाम होते ही उस पुराने घर की ओर रुख किया। जैसे ही वह घर के पास पहुँचा, उसे महसूस हुआ कि हवा में एक अजीब सी खामोशी है। चारों ओर घना अंधेरा था, और घर की खिड़कियों से झांकते हुए वह महसूस कर रहा था जैसे कोई उसे देख रहा हो। उसने दरवाजे को धक्का दिया, और वह खुल गया। अंदर घुसते ही, उसे एक ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ।

विशाल ने घर के अंदर कदम रखा। कमरे में हर जगह धूल और जाले लगे हुए थे। लेकिन सबसे अजीब बात यह थी कि पूरे घर में एक गहरी चुप्प थी, जैसे कोई आवाज न हो। विशाल ने धीरे-धीरे कदम बढ़ाए और सीढ़ियाँ चढ़ते हुए पहले मंजिल तक पहुँचा। जैसे ही वह एक कमरे के पास पहुँचा, उसने सुनाई दी एक सख्त, तेज़ साँस लेने की आवाज।

विशाल डरते हुए कमरे में दाखिल हुआ। अंधेरे में, उसने देखा कि कमरे के एक कोने में एक सफेद धुंआ सा आकार खड़ा था। यह आकार धीरे-धीरे विशाल की ओर बढ़ने लगा। उसकी आँखों के सामने एक कटा-फटा चेहरा प्रकट हुआ। वह चेहरा एक महिला का था, लेकिन उसकी आँखें पूरी तरह से काली हो गई थीं। उसकी त्वचा राख जैसी और चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान थी।

विशाल के मुँह से एक चीख निकल पड़ी, लेकिन वह चीख तुरंत ही अंधेरे में गुम हो गई। यह आत्मा उसकी ओर बढ़ रही थी, और विशाल को महसूस हुआ कि उसकी सांसें रुक रही हैं। उसने दौड़ने की कोशिश की, लेकिन वह कहीं भी जा नहीं पा रहा था। जैसे ही वह और दूर भागने की कोशिश करता, वह आत्मा उसके करीब आ जाती।

अचानक, विशाल के कानों में एक भयानक आवाज आई, "तुमने मेरी नींद को तोड़ा है, अब तुम भी मुझे वहीं पाओगे जहाँ मैं हूँ!" विशाल की हालत बिगड़ गई थी। वह पूरी तरह से डर से कांप रहा था, और उसकी आँखों के सामने अंधेरे में घूमती आत्मा और पास आने लगी।

विशाल ने हिम्मत जुटाई और एक लम्बी कूद के साथ बाहर की ओर भागा। उसने भागते हुए देखा कि वह आत्मा धीरे-धीरे उसे घेर रही थी। जैसे ही विशाल ने घर का दरवाजा खोला, आत्मा एक जोरदार चीख के साथ उसके पीछे आई और विशाल के शरीर से एक सर्द हवा का झोंका लगा। विशाल ने जल्दी से दरवाजा बंद किया, लेकिन फिर भी उसे लगा जैसे वह आत्मा उसके पीछे ही आ रही है।

अगले दिन, गाँववालों ने देखा कि विशाल का कहीं कोई पता नहीं था। लोग उस घर के पास आए, लेकिन विशाल को नहीं पाया। तब से, कोई भी उस घर के पास नहीं जाता। हालांकि, लोग कहते हैं कि रात के अंधेरे में उस घर के आस-पास अब भी वह आत्मा घूमती है, जो कभी भी किसी को पकड़ सकती है।

कुछ महीनों बाद, एक और साहसी युवक, रणजीत, गाँव में आया। उसने विशाल के बारे में सुना था और उस घर में घूमती आत्मा के बारे में और अधिक जानने के लिए उत्सुक था। उसने गाँववालों से कहा, "मैं उस आत्मा का सामना करूंगा और इस रहस्य को सुलझाऊँगा।" गाँववाले डर के मारे उसे रोकने की कोशिश करते रहे, लेकिन रणजीत ने उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया और वह घर की ओर बढ़ गया।

रणजीत ने जैसे ही उस पुराने घर का रुख किया, उसे वही खामोशी महसूस हुई जो विशाल ने महसूस की थी। उसने घर में प्रवेश किया, और वह भी विशाल की तरह अंदर जाने से पहले एक ठंडी हवा का झोंका महसूस किया। लेकिन रणजीत का मन विशाल से बहुत अलग था। वह जानता था कि अगर उसे जीवित रहना है तो उसे आत्मा के साथ अपने डर को पराजित करना होगा।

घर के अंदर, रणजीत ने विशाल द्वारा देखे गए सफेद धुंआ वाले आकार को फिर से देखा। लेकिन उसने डर के बजाय आत्मा का सामना किया। वह बोला, "अगर तुम सच में एक आत्मा हो, तो क्या तुम मुझे अपने कारण बता सकती हो?" यह सुनकर आत्मा थोड़ा रुक गई। फिर धीरे-धीरे, उसने अपना चेहरा सामने लाया और रणजीत को बताया, "मेरे साथ धोखा हुआ था। मुझे मार डाला गया और मेरी आत्मा को शांति नहीं मिली।"

आत्मा ने कहा, "तुम्हारे जैसे इंसान की मदद से ही मुझे शांति मिल सकती है, लेकिन तुम्हें मेरी पूरी कहानी सुननी होगी।" रणजीत ने उसकी बातों को सुना और उसकी मदद का वादा किया। आत्मा ने अपनी कहानी सुनाई, जिसमें उसने बताया कि रघु ने उसके साथ विश्वासघात किया था, और उसकी हत्या की थी। वह आत्मा अब अपने दर्द से मुक्त होना चाहती थी।

रणजीत ने यह वादा किया कि वह रघु के अपराध को उजागर करेगा और उसे न्याय दिलाएगा। जैसे ही रणजीत ने यह वादा किया, आत्मा ने एक हल्की मुस्कान दी और उसके चारों ओर शांति छा गई। घर में अंधेरे का वजन हल्का हो गया, और आत्मा की पूरी मौजूदगी में शांति भर गई। रणजीत ने उस आत्मा की आत्मा को शांति दी, और अगले दिन गाँव में यह खबर फैली कि वह आत्मा अब घर के आसपास नहीं घूमती।