यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ एक अजीब घटना ने सबको दहला दिया। गाँव के बाहरी इलाके में एक पुराना किला था, जिसके बारे में कहा जाता था कि वहाँ एक भूत रहता है। इस भूत का चेहरा और शरीर तो था, लेकिन उसका सिर हमेशा गायब रहता था। गाँव वाले इसे "बिना सिर वाला भूत" कहते थे, और उनकी मान्यता थी कि जो भी इस भूत को देखता था, वह कभी वापस नहीं लौटता था।
यह भूत पिछले कई दशकों से उस किले में दिखाई देता था। लेकिन एक दिन, गाँव में रहने वाला युवक, सोनू, जो हमेशा साहसिक था, ने यह तय किया कि वह इस भूत की सच्चाई जानकर रहेगा। उसे इस भूत की हकीकत का पता लगाना था। वह डर से बेखबर था और रात के समय किले में घुसने का मन बना चुका था। वह जानता था कि अगर वह इस भूत को देख पाया, तो सबको यकीन दिला सकेगा कि यह सब महज एक कहानी नहीं, बल्कि एक खौ़फनाक हकीकत है।
रात के अंधेरे में, सोनू ने किले का रुख किया। वह अपने साथ एक टॉर्च और कैमरा ले गया ताकि वह इस रहस्य को दुनिया के सामने लाकर सबको बता सके। किला इतना पुराना था कि उसकी दीवारें खंडहर में बदल चुकी थीं। हर कदम के साथ, सोनू को एक अजीब सी महसूस हो रही थी, जैसे कोई देख रहा हो। हवाओं में भी कुछ अजीब सा था, जैसे जंगल और किला मिलकर एक अनदेखी ताकत को पैदा कर रहे हों।
जैसे ही वह किले के अंदर दाखिल हुआ, उसे एक तीव्र सर्दी का अहसास हुआ। अचानक, कमरे में एक अजीब सी खामोशी छा गई। सोनू ने अपने कैमरे को चालू किया और चारों ओर देखा। तभी उसे एक भूतिया आहट सुनाई दी। यह आवाज़ कमरे के अंदर से आ रही थी, जैसे कोई हल्की-सी कदमों की आवाज़ हो। सोनू ने धीरे-धीरे घबराए बिना उस दिशा में कदम बढ़ाया जहाँ से आवाज़ आ रही थी। उसका दिल तेजी से धड़कने लगा था, लेकिन उसे यह जानने की जिद थी कि क्या यह सचमुच भूत है।
किले के एक बड़े कमरे में, उसकी नजर एक अजीब सूरत पर पड़ी। वह कोई इंसान नहीं था, बल्कि एक बिना सिर वाला भूत था, जो उसके सामने खड़ा था। उसकी आँखों से एक लहराती हुई सफेद रोशनी निकल रही थी। उसकी पीली-सी चमकती हड्डियाँ और कटी-फटी त्वचा घिनौनी लग रही थी। भूत का शरीर असमान्य रूप से बड़ा और डरावना था, जैसे वह समय से बाहर का कोई प्राणी हो। उसकी बिना सिर वाली अवस्था देखकर सोनू के रोंगटे खड़े हो गए।
सोनू ने जैसे ही उस भूत को देखा, वह कांप उठा। उसका दिल धड़कने लगा और वह सोचने लगा कि क्या वह सचमुच भूत को देख रहा था या यह केवल उसका भ्रम था। भूत की हंसी सुनाई दी, और अचानक वह सोनू के पास आकर खड़ा हो गया। उस समय उसे समझ में आया कि वह अकेला नहीं था। भूत की आवाज़ गहरी और खौ़फनाक थी, जैसे वह उसकी आत्मा में दहशत भरने के लिए ही पैदा हुआ हो।
बिना सिर वाला भूत धीरे-धीरे बोलने लगा, "तुम यहाँ क्यों आए हो? तुम जैसे इंसान इस दुनिया से बाहर क्यों नहीं जा सकते?" सोनू पूरी तरह से डर चुका था, लेकिन उसने हिम्मत जुटाई और भूत से पूछा, "तुम बिना सिर के क्यों हो?" भूत ने अपनी आवाज में एक गहरी और डरावनी हंसी सुनाई और कहा, "मैं एक घोर अपराधी था, और मेरे अपराधों का बदला मुझे इस दुनिया से लिया गया। अब मैं यहाँ बिना सिर के भटकता हूँ।"
भूत की आवाज़ से ऐसा लगता था जैसे उसकी हर बात सोनू की आत्मा में चुभ रही हो। अचानक भूत ने सोनू को अपने पास खींच लिया। उसकी छाया बहुत घनी हो चुकी थी और वह चारों ओर से अंधेरे से घिरा हुआ महसूस कर रहा था। भूत की आवाज गहरी और डरावनी हो गई, "अब तुम यहाँ से जाने की कोशिश करोगे, तो तुम्हारा भी वही हाल होगा जो मेरा हुआ था।" उसकी आँखों में एक भयावह चमक थी, जैसे वह सचमुच सोनू को अपने जाल में फंसा चुका हो।
सोनू की आत्मा जैसे काँप उठी थी। वह डर के मारे कांप रहा था, लेकिन उसे समझ में आ गया कि उसे किसी भी कीमत पर किले से बाहर निकलना होगा। उसने अपनी सारी ताकत लगाकर भूत से खुद को छुड़ाया और किले के बाहर भाग आया। उसकी सांसें भारी हो रही थीं और शरीर थक चुका था, लेकिन उसका एक ही लक्ष्य था— बाहर निकलना। जैसे ही वह बाहर निकला, उसने देखा कि भूत अब किले के भीतर लौट चुका था, लेकिन उसकी डरावनी आँखें उसे अभी भी पीछा कर रही थीं।
सोनू ने गाँव वालों को इस भूत के बारे में बताया, लेकिन कोई भी उस किले में जाने की हिम्मत नहीं कर पाया। वे सब मानते थे कि जो भी उस किले में प्रवेश करेगा, वह हमेशा के लिए खो जाएगा। गाँव में यह भूत एक खौ़फ की तरह फैल चुका था और कोई भी उस किले की ओर नहीं देखता था। किले के पास जाने वाले रास्ते पर भी कोई अब कदम नहीं रखता था।
कुछ लोग कहते हैं कि रात के समय, किले के पास से गुजरने वाले लोगों को भूत की हंसी सुनाई देती थी, और कभी-कभी उसे बगैर सिर वाला रूप भी देखा जाता था। उन दिनों के बाद, किले के पास कोई नहीं जाता। वह भूत अब गाँव के इतिहास का एक हिस्सा बन गया था, और लोग उसके बारे में कहानियाँ सुनाते थे।