यह कहानी एक पुराने और भूतिया महल की है, जो शहर के बाहरी इलाके में स्थित था। लोग कहते थे कि वह महल एक समय में बहुत आलीशान था, लेकिन अब वह एक खंडहर में बदल चुका था। महल की खूबसूरत इमारतें अब टूटी-फूटी और दरक चुकी थीं, और इसके अंदर एक डरावनी चुप्प थी। कोई भी वहाँ रात में नहीं जाता था, क्योंकि हर कोई जानता था कि महल में भूत-प्रेत रहते हैं। लेकिन एक दिन, एक युवक ने उन अफवाहों को नकारते हुए उस महल में रात बिताने का निर्णय लिया, और उसने इसे चुनौती के रूप में स्वीकार किया।

यह युवक का नाम था विक्रांत। वह साहसी और निडर था, और उसे भूत-प्रेत जैसी चीजों से कोई डर नहीं था। विक्रांत ने अपने दोस्तों के साथ महल में जाने का विचार किया, लेकिन दोस्तों ने डर के कारण मना कर दिया। वे सब उस जगह के बारे में सोचते हुए डर गए थे, लेकिन विक्रांत को डर से कोई मतलब नहीं था। तब विक्रांत अकेले ही महल में जाने का निर्णय लिया। उसने सोचा कि अगर वहां कुछ नहीं है तो उसकी हिम्मत को साबित करने का मौका मिलेगा।

विक्रांत जैसे ही महल में दाखिल हुआ, उसके शरीर में एक अजीब सी ठंडक दौड़ गई। महल का वातावरण ही कुछ और था। दीवारों पर अजीब-सी दरारें थीं, और फर्श पर बिखरे हुए थे पुराने खून के धब्बे। वह महसूस कर सकता था कि हवा में कुछ भारी था, जैसे वहां एक छिपी हुई सत्ताएँ मौजूद थीं। लेकिन विक्रांत ने इन सब को नजरअंदाज करते हुए महल के अंदर कदम बढ़ाए। वह कमरे-रूम जाता गया, और हर कमरे में उसे एक अजीब सी गूंज सुनाई देती। जैसे किसी महिला की चीखें सुनाई दे रही हों। विक्रांत को यकीन था कि यह सब उसकी कल्पना है, लेकिन उसके दिल में डर धीरे-धीरे बढ़ने लगा था।

लेकिन जब विक्रांत एक कमरे में पहुँचा, तो उसने देखा कि वहाँ एक पुराना बिस्तर पड़ा हुआ था, और उस बिस्तर के पास कुछ अजीब सा रेखा खींची हुई थी। रेखा काफी पुरानी और झुकी हुई थी, जैसे किसी ने जानबूझकर इसे खींचा हो। वह पास गया और बिस्तर पर हाथ रखा, तभी अचानक बिस्तर के नीचे से एक ठंडी हवा निकली, और विक्रांत की आँखों के सामने वह रेखा हिलने लगी। विक्रांत ने डरते हुए बिस्तर के नीचे देखा और पाया कि वहाँ कोई नहीं था, लेकिन उसे अब यह अहसास होने लगा कि कुछ गलत हो रहा था। महल में कुछ ऐसा था जो किसी और की पहुंच से बाहर था।

तभी अचानक महल के अंदर से एक गहरी आवाज आई, "तुम यहाँ क्यों आए हो?" विक्रांत की रूह कांप गई। उसने चारों ओर देखा, लेकिन उसे कुछ भी नहीं दिखाई दिया। फिर वह आवाज फिर से आई, और इस बार यह और तेज़ थी, "तुमने हमारी शांति को क्यों भंग किया?" विक्रांत की सांसें तेज़ हो गईं, और वह यह समझ चुका था कि अब उसे उस महल से बाहर निकलने का रास्ता ढूँढ़ना होगा। लेकिन जितना अधिक वह महल के अंदर दौड़ता, उतना ही यह महसूस होता कि यह जगह उसे जकड़ रही थी, जैसे वह कहीं न कहीं फंसा हुआ हो।

विक्रांत ने दौड़ते हुए महल के हर कमरे में दरवाजों और खिड़कियों को खटखटाया, लेकिन कोई रास्ता नहीं मिला। महल की खिड़कियां और दरवाजे जैसे सब एकजुट होकर उसे बंद कर रहे थे। जैसे ही वह एक बड़ी सी खिड़की के पास पहुँचा, अचानक खिड़की से बाहर से एक ठंडी हवा आई, और महल का माहौल और भी डरावना हो गया। विक्रांत ने महसूस किया कि वह अब महल के जाल में फंस चुका था। तब उसने देखा कि महल की दीवारों पर काले धब्बे उभरने लगे थे, जैसे कोई काली साया उस पर छा रहा हो। वह बहुत डर चुका था, लेकिन बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था।

अचानक महल के भीतर से एक आकृति बाहर आई। यह एक महिला का भूत था, जिसकी आँखों से खून बह रहा था, और उसकी हड्डियाँ बाहर निकल आई थीं। उसका चेहरा विकृत और भयावह था, और उसकी उपस्थिति से महल का माहौल और भी डरावना हो गया। उसने विक्रांत से कहा, "तुमने हमारी शांति भंग की है, अब तुम हमारे जाल से बाहर नहीं जा पाओगे।" विक्रांत की आँखों के सामने पूरी दुनिया घूमने लगी। वह समझ चुका था कि यह आत्मा उसे शिकार बनाना चाहती है, और उसे महल में ही बंद कर देना चाहती थी। विक्रांत की हालत बहुत खराब हो चुकी थी।

विक्रांत ने डर को अपने अंदर से बाहर निकालने की कोशिश की, और फिर उसने जोर से "मुझे छोड़ दो!" कहा। अचानक उस महिला की आत्मा चिल्लाई, और विक्रांत को लगा जैसे वह कुछ भारी चीज़ उसे खींचने लगी हो। वह जैसे ही घबराया, उसे महसूस हुआ कि किसी ने उसकी गर्दन पर कसकर पकड़ लिया है। विक्रांत ने हिम्मत जुटाई और आँखें बंद करके महल के बाहर की ओर दौड़ने लगा। उसकी दौड़ तेज़ होती गई, और उसकी सांसें इतनी तेज़ थीं कि वह खुद को संभाल नहीं पा रहा था।

जब विक्रांत महल से बाहर निकला, तो उसने देखा कि वह महिला की आत्मा वापस महल में चली गई थी, और महल में फिर से शांति छा गई। विक्रांत ने राहत की सांस ली, लेकिन वह पूरी तरह से थक चुका था। विक्रांत को समझ में आ गया कि भूतिया महल की यह सच्चाई थी, और उसने महसूस किया कि कभी-कभी भूतिया घटनाएँ हमें यह सिखाती हैं कि कुछ स्थानों पर जाने से हमें बचना चाहिए। उसने यह ठान लिया था कि वह कभी भी उस महल के पास नहीं जाएगा, और न ही किसी को वहाँ जाने के लिए कहेगा।

विक्रांत ने लौटकर गाँव में सबको यह चेतावनी दी कि कभी भी किसी भूतिया या रहस्यमयी स्थानों में अकेले जाने से बचना चाहिए। कुछ स्थानों में बुरी शक्तियाँ बसी होती हैं, और हमें उनकी शांति को भंग नहीं करना चाहिए। विक्रांत ने अनुभव किया कि यह केवल डर के कारण नहीं था, बल्कि यह उसकी जीवन की एक महत्वपूर्ण सीख थी। कभी भी हमें किसी ऐसी जगह पर नहीं जाना चाहिए, जहां हमें किसी प्रकार का खतरा हो सकता है।