यह कहानी एक छोटे से गाँव के एक साधारण लड़के की है, जिसका नाम राजीव था। वह दिन के समय खुश रहता और रात को अपनी माँ के साथ घर में ही रहता था। लेकिन एक रात उसकी ज़िन्दगी उस समय बदल गई, जब उसे एक खौ़फनाक साया अपने पीछे महसूस हुआ। राजीव ने सोचा कि यह महज एक भ्रम हो सकता है, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, वह महसूस करने लगा कि कुछ तो गड़बड़ है।
एक रात, राजीव देर रात तक पढ़ाई कर रहा था। उसे पूरी तरह से अहसास नहीं हुआ कि समय कैसे बीत गया। जब उसने घड़ी देखी, तो उसे समझ में आया कि रात के बारह बजे हो चुके थे। वह उठकर पानी पीने के लिए किचन की ओर बढ़ा। घर के सभी कमरे सुनसान थे। अचानक उसे अपने पीछे एक हलकी सी आहट सुनाई दी। पहले तो उसने इसे नजरअंदाज किया, लेकिन धीरे-धीरे वह आहट बढ़ने लगी। वह समझ नहीं पा रहा था कि ये आवाज कहाँ से आ रही थी।
राजीव मुड़ा और देखा कि उसके पीछे कुछ नहीं था। लेकिन फिर उसे महसूस हुआ कि कोई अजीब सा साया उसके पीछे बढ़ रहा था। साया धुंधला था, पर उसकी मौजूदगी में एक डर था। वह तेजी से घर में आगे बढ़ा, लेकिन साया जैसे उसके हर कदम के साथ उसे घेरता जा रहा था। वह समझने लगा कि यह केवल उसकी कल्पना नहीं थी, कुछ तो था जो उसका पीछा कर रहा था।
उसके दिल की धड़कन तेज़ हो गई। वह समझ गया कि कुछ गलत हो रहा था। वह बाहर की तरफ भागा, लेकिन जैसे ही वह दरवाजे के पास पहुँचा, साया ने उसे रोक लिया। दरवाजा बंद था, और राजीव के पास कोई रास्ता नहीं बचा था। साया धीरे-धीरे राजीव के पास आया और उसके कान में फुसफुसाया, "तुमसे मेरा पीछा नहीं छूटेगा।" राजीव के रोंगटे खड़े हो गए, वह बुरी तरह से डर चुका था, लेकिन फिर भी उसकी हिम्मत जवाब नहीं दी।
राजीव डर के मारे कांपते हुए पीछे मुड़ा और देखा, तो साया गायब हो चुका था। लेकिन उसके बाद राजीव को यह अहसास हुआ कि वह अकेला नहीं था। साया उसे हर जगह पीछा करने आया था। वह रात को सो नहीं पा रहा था। हर कमरे में साया उसे नजर आता। कभी दीवारों में, कभी छत से झूलते हुए, और कभी उसके ख्वाबों में। वह अब पूरी तरह से बेचैन हो गया था, जैसे उसका पीछा कभी खत्म न होने वाला था।
कुछ दिनों बाद, राजीव ने सुना था कि इस गाँव में एक पुराने मकान में एक रहस्यमय साया दिखाई देता है, जो कभी भी किसी को भी अपना शिकार बना सकता है। यह साया उन लोगों का था, जिन्होंने गाँव में बुरी हरकतें की थीं। वे आत्माएँ किसी भी निर्दोष व्यक्ति को पकड़ने का इंतजार करती थीं। राजीव ने यह कहानी सुनी थी, और उसे यकीन हो गया कि यही साया उसे परेशान कर रहा था।
राजीव अब पूरी तरह से हताश हो चुका था। उसे कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। उसकी रातें अब बेहद काली और डरावनी हो चुकी थीं। हर समय साया उसे अपने घेरे में लाता, और उसकी आँखों में गहरी अंधकार छा जाता। वह एक रात उस पुराने मकान में जाने का निर्णय लिया। उसे लगा कि अगर वह साया से सीधे मिले तो शायद वह इस समस्या का हल ढूंढ सकेगा। उसकी यह आखिरी उम्मीद थी।
राजीव उस पुराने घर में घुसा, और वहां उसे वही साया मिला। यह वही साया था जो पिछले कुछ दिनों से उसे परेशान कर रहा था। वह साया उसे देखकर मुस्कराया, और अचानक बोल पड़ा, "तुमने हमारी शांति भंग की है। अब तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।" राजीव का मन डर से कांपने लगा, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारना चाहता था। उसने आत्मा से बात करने की ठानी।
राजीव ने कांपते हुए कहा, "क्या तुम मेरे साथ कुछ करोगे?" साया ने ठंडी हंसी के साथ कहा, "तुम्हें अपनी जान बचाने के लिए कुछ करना होगा। तुम्हें हमारी आत्माओं को शांति देनी होगी। तभी तुम इस साए से बच सकते हो।" साया के शब्दों ने राजीव को अंदर तक हिला दिया। उसे समझ में आया कि यह समस्या सिर्फ उसकी नहीं, बल्कि कई और लोगों की भी थी।
राजीव ने हिम्मत जुटाई और साया से पूछा, "तुम किस तरह से शांति चाहते हो?" साया ने कहा, "हमें हमारी पुरानी गलती का एहसास दिलाओ, और हमें इस दुनिया से मुक्त करो। तभी हम तुम्हारे पीछे नहीं आएंगे।" राजीव ने अपनी पूरी ताकत इकट्ठा की और इस रहस्य को सुलझाने की योजना बनाई। वह जानता था कि इसका हल गाँव के बुजुर्गों से मिलने वाली जानकारी में छुपा हो सकता है।
राजीव ने साहसिक कदम उठाया और गाँव के बुजुर्गों से इस साये के बारे में जानकारी ली। उसने जान लिया कि उस साये का अस्तित्व उन आत्माओं से जुड़ा था, जिन्होंने जीवन में बहुत गलत काम किए थे। उन्होंने जिन लोगों को नुकसान पहुँचाया था, उन्हीं के आशीर्वाद से वह शांति पा सकते थे। राजीव ने महसूस किया कि यह उसका जिम्मा था कि वह इन आत्माओं की गलती का एहसास दिलाए और उन्हें शांति दे।
राजीव ने गाँव के प्रमुख परिवारों से मिलकर उनकी मदद ली और एक विशेष पूजा आयोजित की। यह पूजा उन आत्माओं की शांति के लिए थी, जिनकी आत्माएं साया बनकर लोगों का पीछा कर रही थीं। पूजा के बाद, साया धीरे-धीरे शांत हो गया और वह हमेशा के लिए राजीव को छोड़कर चला गया। राजीव ने राहत की सांस ली, लेकिन यह अनुभव उसे कभी नहीं भूल सका।
राजीव ने अंततः राहत की सांस ली, और उसे यह समझ में आया कि कभी भी बुरी आत्माओं से पंगा नहीं लेना चाहिए। उस दिन के बाद, राजीव की ज़िन्दगी फिर से सामान्य हो गई, लेकिन वह कभी भी उस साए को नहीं भूल पाया, जो पीछे आता था। राजीव की कहानी गाँव में सुनाई जाती रही और लोग उस साए के बारे में डर से ही बात करते थे।