यह कहानी एक छोटे से गाँव में रहने वाली एक लड़की, रिया की है। रिया को हमेशा से ही रात के समय सोने में डर लगता था। हर रात उसे अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती थीं और कभी-कभी तो ऐसा लगता था जैसे कोई अंधेरे में उसके आसपास मौजूद हो। उसकी यह स्थिति उसके लिए एक बुरा सपना बन चुकी थी, और वह रात भर जागने की कोशिश करती, लेकिन डर ने उसे पूरी तरह घेर लिया था।

रिया एक रात देर से सोने के लिए बिस्तर पर लेटी हुई थी, तभी अचानक कमरे में एक अजीब सी सिहरन महसूस हुई। उसने अपने कमरे के चारों ओर देखा, लेकिन कुछ भी नज़र नहीं आया। उसकी आँखें भारी हो रही थीं, और वह धीरे-धीरे सोने की कोशिश करने लगी। लेकिन जैसे ही उसने अपनी आँखें बंद कीं, उसे एक अजीब सी खड़खड़ाहट सुनाई दी, जो सीधे उसके बिस्तर के नीचे से आ रही थी। वह खड़खड़ाहट धीरे-धीरे तेज़ होने लगी, जैसे कोई पुराना लकड़ी का फर्नीचर खिसक रहा हो।

वह डर के मारे कंबल में सिकुड़ कर लेट गई। खड़खड़ाहट बढ़ती जा रही थी, और अब उसे यह महसूस हो रहा था कि कोई उसकी बगल में खड़ा है। उसके पूरे शरीर में कंपन होने लगी, और उसने दिल में खुद को शांत करने की कोशिश की। अचानक उसकी नींद टूट गई, और उसने देखा कि बिस्तर के पास कोई खड़ा था। रिया की आँखों में डर था, उसका दिल धड़क रहा था, और वह बिल्कुल हिल भी नहीं सकती थी। उसके मुँह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था।

"तुम मुझे क्यों डरा रहे हो?" रिया ने धीरे से पूछा। लेकिन जवाब में सिर्फ़ एक खौ़फनाक हंसी सुनाई दी। यह हंसी मानो किसी औरत की थी, जो गहरी, खौ़फनाक और खून-सर्द करने वाली थी। रिया डर से कांपते हुए उठने की कोशिश करती है, लेकिन वह कुछ भी नहीं कर सकती थी। जैसे ही वह बिस्तर से उठने की कोशिश करती, अचानक एक ठंडी और डरावनी हवा का झोंका आया, और कमरे की लाइट चली गई। अब कमरे में केवल अंधेरा था, और रिया को लगा कि वह कहीं न कहीं बुरी ताकतों के बीच में फंसी हुई है।

अचानक कमरे में अंधेरा छा गया और रिया को महसूस हुआ कि उसके चारों ओर कोई मौजूद है। उसने अपनी आँखों से अंधेरे में किसी औरत की आकृति देखी। वह आकृति धीरे-धीरे उसके पास आई। रिया ने डर से चीखने की कोशिश की, लेकिन उसकी आवाज़ बाहर नहीं निकल पाई। जैसे-जैसे वह आकृति रिया के पास आती गई, रिया के शरीर में एक बर्फ जैसी ठंडक फैलने लगी। अचानक वह आकृति बोल पड़ी, "तुमने मेरी मदद नहीं की, अब तुम्हे भुगतना होगा।"

रिया का दिल धड़कते हुए रुक गया। वह समझ नहीं पा रही थी कि वह कौन थी और क्यों आकर उसे डरा रही थी। रिया के सामने खड़ी वह महिला आधे शरीर से जल चुकी थी और उसके चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान थी। उसकी आँखों से जलते हुए अंगारे निकल रहे थे। वह महिला धीमे-धीमे रिया के पास आने लगी। रिया कांपते हुए बिस्तर से कूद पड़ी, लेकिन अचानक कमरे की दीवारों से आवाजें आने लगीं, जैसे कोई अंदर से उसे बुला रहा हो। वह महसूस कर रही थी कि उसकी हालत और भी बदतर होती जा रही थी।

वह हड़बड़ी में कमरे से बाहर निकल गई, लेकिन दरवाजा अचानक बंद हो गया। रिया चिल्लाई, "कृपया मुझे छोड़ दो!" लेकिन उस महिला की हंसी तेज़ होती जा रही थी, मानो वह हंसी उसके दिल में गहरी पैठ बना रही हो। अचानक दरवाजा खुला और रिया कमरे से बाहर भाग गई। वह सीधे अपनी माँ के पास पहुंची और सब कुछ बताया। लेकिन उसकी माँ ने उसे शांत किया और कहा, "यह सब बस तुम्हारा डर था, कुछ नहीं हुआ।"

लेकिन रिया को अब यह साफ़ समझ में आ गया था कि वह अकेले नहीं थी। वह जानती थी कि वह डरावनी आत्मा उसी घर में छिपी थी, और वह रात-रात भर रिया के पास आती थी। अब रिया ने रातों में डर के बजाय साहस का सामना करने की सोची। वह जान चुकी थी कि कभी-कभी हमारे डर के साए हमें हमारी नींद से भी बाहर कर सकते हैं। उस रात के बाद, रिया ने महसूस किया कि यह डर अब उसका पीछा नहीं छोड़ने वाला है।

रिया ने महसूस किया कि वह डर उसे और भी कमजोर बना रहा था। वह उस घर के चारों ओर महसूस करती थी कि कुछ और है, कुछ जो उसे कभी शांति से सोने नहीं देगा। एक रात जब वह फिर से सोने का प्रयास कर रही थी, वह देख पाई कि बिस्तर के पास वही जलती हुई आकृति खड़ी थी। वह महिला उसकी ओर बढ़ी, और उसकी भयानक मुस्कान और जलते हुए अंगारे रिया को अपने पास खींच रहे थे। रिया पूरी तरह से निःशक्त हो चुकी थी।

लेकिन इस बार, रिया ने अपने डर का सामना किया। उसने अपनी आँखों में साहस भरते हुए कहा, "मैं अब तुमसे डरने वाली नहीं हूँ!" यह सुनते ही वह महिला कुछ हंसी और फिर गायब हो गई। रिया अब जान चुकी थी कि डर केवल उस पर हावी था, जब तक वह खुद अपने भीतर का साहस नहीं जगाती थी। इस बार उसने खुद को चुनौती दी और आत्मविश्वास के साथ उस भूतिया ताकत का सामना किया।

वह जान चुकी थी कि डर को हराने के लिए उसकी अपनी आंतरिक शक्ति का होना जरूरी था। उसने यह भी समझा कि डर से भागने से हम कभी भी उसका सामना नहीं कर सकते। अब रिया रातों में अकेले नहीं डरती थी। उसने उस आत्मा को यह साबित कर दिया कि उसका डर उस पर कभी भी हावी नहीं हो सकता।