यह कहानी एक छोटे से गाँव के एक खतरनाक रास्ते की है, जिसे "कहर का रास्ता" कहा जाता था। उस रास्ते पर जाने से पहले हर व्यक्ति को बहुत सोच-विचार करना पड़ता था, क्योंकि इस रास्ते से गुजरने वालों के बारे में कई खौ़फनाक और रहस्यमय घटनाएँ सामने आई थीं। लोग कहते थे कि रात के समय यह रास्ता बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं था, और जो लोग वहाँ से गुजरने की कोशिश करते थे, वे हमेशा के लिए खो जाते थे। उन घटनाओं ने उस रास्ते को एक दहशत का नाम दे दिया था।
कहानी की शुरुआत एक युवक, रवीश से होती है। रवीश ने सुना था कि "कहर का रास्ता" पर कई रहस्यमय घटनाएँ घट चुकी हैं, लेकिन उसे इस तरह की बातों पर विश्वास नहीं था। वह हमेशा अपनी हिम्मत पर गर्व करता था और मानता था कि डर केवल दिमाग का खेल होता है। गाँव के लोग उसे रोकते रहे, लेकिन रवीश ने ठान लिया कि वह इस रास्ते से गुजरकर देखेगा कि आखिर वहां क्या रहस्य छुपा है।
एक शाम जब सूरज डूबने वाला था, रवीश ने अपने दोस्तों से कहा कि वह "कहर का रास्ता" जाएगा और पूरी रात वहीं बिताएगा। उसके दोस्तों ने उसे रोका, लेकिन वह नहीं माना। जैसे ही रवीश ने रास्ते पर कदम रखा, उसे एक अजीब सी खामोशी का अहसास हुआ। यह रास्ता जंगल के बीच से होकर जाता था, और चारों ओर अंधेरा था। हवा भी बिल्कुल थमी हुई लग रही थी, जैसे पूरी प्रकृति भी डर के साये में हो।
जैसे ही रवीश थोड़ा और आगे बढ़ा, उसने महसूस किया कि उसके कदमों की आवाज़ भी सुनाई नहीं दे रही थी। अचानक, एक तेज़ आंधी चली और उसके चेहरे पर ठंडी हवा का थपेड़ा पड़ा। रवीश ने मुंह को हाथ से ढक लिया और रास्ते पर और आगे बढ़ने की कोशिश की। तभी उसने देखा कि रास्ते के किनारे कुछ पुरानी हवेली की खंडहर जैसी इमारत थी। उस हवेली को देख कर रवीश के मन में एक अजीब डर घर करने लगा, लेकिन उसने खुद को शांत किया और हवेली की ओर बढ़ने का फैसला किया।
जैसे ही वह हवेली के पास पहुंचा, अचानक से एक आवाज़ आई— "मुझे मत छोड़ो..."। यह आवाज़ किसी बच्चे की थी, लेकिन वह आवाज़ इतनी घनी और डरावनी थी कि रवीश के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। उसने आवाज़ की ओर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। उस खामोशी में वह आवाज़ जैसे उसे पुकार रही थी, और रवीश के शरीर में एक ठंडक दौड़ गई। वह समझ नहीं पाया कि वह क्या देख रहा है।
रवीश ने सोचा कि यह सिर्फ उसकी कल्पना हो सकती है, लेकिन तभी उसने कुछ अजीब देखा। हवेली की खिड़की से बाहर एक कटा हुआ चेहरा दिखाई दे रहा था, जिसकी आँखें लाल और दागदार थीं। उस चेहरे के चारों ओर एक काला धुंआ सा था। रवीश की आँखें डर से फैल गईं, लेकिन वह फिर भी रुका नहीं, और हवेली में घुसने का प्रयास किया। जैसे ही वह हवेली के अंदर गया, उसे एक अजीब सी घुटन का एहसास हुआ।
कमरे के अंदर उसने देखा कि कुछ पुरानी तस्वीरें और कागज़ बिखरे पड़े थे। अचानक, कमरे में बत्तियाँ बुझ गईं और चारों ओर घना अंधेरा छा गया। रवीश को महसूस हुआ कि वह अकेला नहीं है। किसी के भारी कदमों की आवाज़ सुनाई दी। वह डर से कांपता हुआ कमरे के अंदर और आगे बढ़ा। उसे लगा कि जैसे कोई उसे घेर रहा हो, और हवा में घुली हुई अजीब सी खामोशी उसे और भी डरा रही थी।
फिर, रवीश ने देखा कि कमरे में दीवार पर एक खौ़फनाक साया था। यह साया एक आदमी का था, लेकिन उसका चेहरा एकदम सड़ चुका था, और उसकी आँखें सर्द और लाश जैसी दिख रही थीं। वह साया धीरे-धीरे रवीश की ओर बढ़ने लगा। रवीश ने डर के मारे चीखने की कोशिश की, लेकिन उसकी आवाज़ जैसे गायब हो गई हो। वह एक खौ़फनाक स्थिति में फंस चुका था, और उसका शरीर जड़ सा हो गया था।
जैसे ही साया उसके पास पहुंचा, रवीश ने अचानक एक जोर की चीख मारी, और पूरी हवेली में एक घनी आवाज़ गूंज गई। वह साया जैसे हवा में विलीन हो गया। रवीश ने देखा कि वह अब हवेली से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वह रास्ता बंद था। चारों ओर काले बादल छा गए थे और हवेली के आसपास की ज़मीन भी हिलने लगी थी। हवेली जैसे अपनी जड़ें पूरी तरह से हिला रही थी, और रवीश को समझ में आ गया कि वह अब इससे बाहर नहीं जा सकता।
अचानक, रवीश को एक आशीर्वाद की आवाज़ सुनाई दी— "यह रास्ता तुझे अपनी गिरफ्त में ले चुका है, तुम अब कभी बाहर नहीं जा सकोगे।" फिर, एक पल में, रवीश गायब हो गया। उसके बाद हवेली पूरी तरह से शांत हो गई। सुबह के समय, गाँव के लोग उस रास्ते पर गए, लेकिन रवीश का कहीं भी कोई पता नहीं चला। वह हमेशा के लिए "कहर के रास्ते" में खो गया। उसके बाद से, इस रास्ते को लेकर और भी अफवाहें फैल गईं, और लोग उस रास्ते से गुजरने से पूरी तरह से डरने लगे।
कोई नहीं जानता था कि रवीश के साथ क्या हुआ, लेकिन हर कोई जानता था कि "कहर का रास्ता" से गुजरना किसी भी इंसान के लिए खतरे से खाली नहीं था। इस घटना के बाद से, लोग उस रास्ते के पास जाने से कतराने लगे थे। अब यह रास्ता और भी रहस्यमय और खतरनाक लगता था, जैसे कुछ ऐसी शक्तियाँ उस रास्ते पर बस गई थीं, जो किसी भी नासमझ इंसान को अपने जाल में फंसा सकती थीं।
रवीश की कहानी ने सबको यह सिखाया कि कुछ जगहें और रास्ते ऐसे होते हैं, जो रहस्यमय शक्तियों से भरे होते हैं। और उन रास्तों पर नहीं जाना चाहिए जहां डर और रहस्य सवार होते हैं। कभी भी उन स्थानों से खेलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वहां की शक्तियाँ हमें अपनी गिरफ्त में ले सकती हैं। अब "कहर का रास्ता" सिर्फ एक रास्ता नहीं, बल्कि एक चेतावनी बन चुका था, जिसे कोई भी समझने से डरता था।