यह कहानी एक लड़की, नेहा, की है, जिसे उसकी माँ ने एक पुरानी गुड़िया दी थी। नेहा ने उस गुड़िया को बहुत प्यार से रखा, लेकिन उसे क्या पता था कि वह गुड़िया साधारण नहीं थी, बल्कि एक शापित गुड़िया थी। एक दिन जब नेहा ने गुड़िया को अपनी अलमारी से बाहर निकाला, तो उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक दिखी। वह महसूस नहीं कर पाई कि वह गुड़िया अब उसकी दुनिया में एक अजनबी और खतरनाक बदलाव लेकर आई थी।

एक रात, जब नेहा अपने कमरे में सो रही थी, वह अचानक जाग गई। उसकी आँखों के सामने वह गुड़िया खड़ी थी, जो पहले कभी ऐसी नहीं थी। उसकी आँखें पूरी तरह से काली हो चुकी थीं, और वह अपने आप चलने लगी थी। नेहा ने डरते हुए देखा कि गुड़िया धीरे-धीरे कमरे के कोने में घुसने लगी, जैसे कोई बुरी आत्मा उसके भीतर समा गई हो। नेहा का दिल डर से कांपने लगा, और उसने किसी तरह खुद को शांत करने की कोशिश की।

नेहा ने गुड़िया को उठाकर रसोई में फेंकने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही वह गुड़िया रसोई में पहुंची, अजीब सी आवाजें आने लगीं। रसोई में रखे बर्तन गिरने लगे, और किचन की बत्तियाँ झपकने लगीं। नेहा की समझ में कुछ नहीं आया। उसने सोचा कि वह थक चुकी है, और उसने सोने का प्रयास किया। लेकिन उसकी आँखों के सामने वह गुड़िया फिर से आ खड़ी हुई। अब उसकी समझ में आ चुका था कि यह केवल एक खिलौना नहीं था, बल्कि एक भूतिया शिकार।

अगले दिन, नेहा ने अपनी माँ से पूछा, "माँ, यह गुड़िया मुझे डराती है। क्या यह आम गुड़िया नहीं है?" माँ ने उसका चेहरा देखे बिना कहा, "यह कोई आम गुड़िया नहीं है, बेटी। यह गुड़िया शापित है। यह गुड़िया किसी बुरी आत्मा से जुड़ी हुई है। जिसे छूने से उस आत्मा की शक्ति तुम्हें भी प्रभावित कर सकती है।" नेहा को ये शब्द सुनकर एक सिहरन महसूस हुई, लेकिन उसने फिर भी माँ से और जानकारी हासिल करने की कोशिश की।

नेहा की माँ ने उसे बताया कि उस गुड़िया को उनके परिवार ने बहुत पहले एक खतरनाक तंत्रिका के लिए खरीदी थी, जो अपनी आत्मा को एक गुड़िया में समाहित करने की शक्ति रखती थी। लेकिन वह तंत्रिका एक दिन अपने कर्मों के कारण मारी गई, और उसकी आत्मा उसी गुड़िया में बंध गई। यही वजह थी कि जब भी कोई उस गुड़िया को छूता, उसकी आत्मा जिंदा हो जाती और वह शापित हो जाती। नेहा को अब यह समझ में आया कि उसके साथ हो रहे अजीब घटनाएँ उसी आत्मा की वजह से हैं।

अब, नेहा को अपनी माँ की बातें समझ में आने लगीं। उसने मन ही मन सोचा कि वह उस गुड़िया को कहीं फेंक देगा ताकि उस शाप से छुटकारा पाया जा सके। लेकिन जैसे ही उसने गुड़िया को बाहर फेंकने की कोशिश की, वह गुड़िया वापस अपने स्थान पर लौट आई। जैसे ही वह घर में घुसी, उसके साथ अजीब घटनाएँ घटने लगीं। घर के दरवाजे और खिड़कियाँ अपने आप बंद हो जाते, और अंधेरे में सब कुछ अधिक डरावना लगने लगा।

रात को नेहा के कमरे में बुरी शक्तियाँ महसूस होने लगीं। वह सो नहीं पाती थी। एक रात, उसने महसूस किया कि वह कुछ देख रही है। गुड़िया अब उसे अपने पास बुला रही थी। उसकी आवाज़ों में गहरी दरिंदगी थी। जैसे ही उसने अपने आप को घेरने वाली उस शक्ति का सामना किया, गुड़िया ने अपनी आँखें एक झलक में उसे देखीं और फिर वह सीधे उसके पास पहुँच गई। नेहा की शारीरिक स्थिति खराब हो गई थी, और उसकी आवाज़ डर से कांपने लगी थी। अब वह पूरी तरह से उस आत्मा के शिकंजे में फंस चुकी थी।

इस भयावह स्थिति से बाहर निकलने के लिए नेहा ने तुरंत एक तंत्रिकाचार्य की मदद लेने का निर्णय लिया। तंत्रिकाचार्य ने गुड़िया पर शाप को तोड़ने के लिए एक विशेष तंत्र किया। जैसे ही तंत्र पूरा हुआ, एक भयंकर रोशनी गुड़िया से निकली, और उसने वह आत्मा बाहर निकाल दी। उस आत्मा के साथ गुड़िया भी पूरी तरह से नष्ट हो गई। नेहा की जान बची, लेकिन उस तंत्रिकाचार्य ने चेतावनी दी कि कभी भी ऐसी शक्तियों से खेलना नहीं चाहिए, क्योंकि वे फिर से लौट सकती हैं।

लेकिन नेहा को यह एहसास हुआ कि कभी-कभी पुराने शाप और तंत्रों से जुड़ी वस्तुएं कभी न कभी अपना बदला जरूर लेती हैं। उस रात के बाद नेहा कभी भी किसी अजीब और डरावनी चीज़ को नहीं छुआ। और वह जानती थी कि कभी भी किसी पुराने शाप से जुड़ी चीज़ को अपने पास नहीं रखना चाहिए। अब वह जीवन में ऐसे खतरों से बचने के लिए हमेशा सजग रहती थी, और उसे एहसास हो गया था कि कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिन्हें कभी भी नकारा नहीं करना चाहिए।

उसने अपनी माँ से वादा किया कि वह अब कभी भी उस गुड़िया जैसा कुछ घर में नहीं लाएगी। क्योंकि उसे यह समझ में आ गया था कि पुराने शापित वस्तुएं केवल परेशानी नहीं बल्कि कई बार जीवन को भी संकट में डाल सकती हैं। नेहा का जीवन अब पहले से ज्यादा शांतिपूर्ण और सुरक्षित हो गया था, लेकिन वह हमेशा उस गुड़िया और उसके खौ़फनाक अनुभव को याद करती रही। वह जानती थी कि अतीत में छुपे डर कभी भी वापस आ सकते हैं।