वो दिसंबर की एक ठंडी रात थी। शहर से दूर, घने जंगलों के बीच से गुजरती एक सुनसान सड़क पर धुंध ने हर चीज़ को अपनी चादर में लपेट रखा था। इस सड़क पर यात्रा करने वालों का दावा था कि जैसे ही रात के 12 बजते हैं, धुंध के भीतर कोई छाया चलती हुई दिखती है, कोई अज्ञात शक्ति, जो हर किसी को अपनी ओर खींच लेती है। यह अफवाह गाँव में अक्सर सुनाई देती थी, लेकिन कोई भी इस पर विश्वास नहीं करता था।

मुकेश और उसके दोस्त इस बात को महज एक अफवाह समझते थे। वे घोस्ट हंटिंग के शौकीन थे और ऐसे ही किस्सों की सच्चाई पता लगाने के लिए घूमते रहते थे। इस बार उनका लक्ष्य था – "धुंध वाली सड़क"। वे सभी उत्साहित थे, सोचते थे कि यह बस एक और आम कहानी होगी, जिसे वे मज़े से नकार देंगे।

आधी रात के करीब, जब वे कार से उस सड़क पर पहुँचे, तो उन्हें हर चीज़ सामान्य लगी। लेकिन जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, धुंध और गहरी होती गई। मुकेश को अजीब सा लग रहा था, जैसे वातावरण में एक अजीब सी गंध घुल गई हो। अचानक, मुकेश ने महसूस किया कि कार का तापमान गिरता जा रहा है, और खिड़कियों पर अजीब-सी नमी जमने लगी। कार के अंदर एक अजनबी ठंडक थी जो उनके शरीर को सुन्न कर रही थी।

तभी, रोहन, जो पीछे की सीट पर बैठा था, घबराते हुए बोला – "यार, मुझे लगा जैसे कोई खिड़की के बाहर से देख रहा था!" उसकी आवाज़ में एक डर था, जो पहले नहीं था। सभी ने तुरंत बाहर झाँका, लेकिन सिर्फ़ घना कोहरा ही दिखा। मुकेश ने कार रोक दी और बाहर उतरकर चारों ओर देखने लगा। सड़क के दोनों किनारे ऊँचे-ऊँचे पेड़ थे, जिनकी शाखाएँ अजीब आकृतियों में लटक रही थीं, जैसे किसी की विकृत उंगलियाँ।

हवा में एक अजीब सी सिहरन थी, और मुकेश का मन कुछ घबराया हुआ था। अचानक, धुंध के बीच से किसी के चलने की आहट आई। यह आहट धीमी लेकिन स्पष्ट थी, जैसे कोई दूर से उनके पास आ रहा हो। सबकी धड़कनें तेज़ हो गईं। मुकेश ने टॉर्च जलाकर उस दिशा में रोशनी डाली, लेकिन वहाँ कुछ नहीं था। सब कुछ खामोश था। तभी, पीछे से एक फुसफुसाहट आई – "तुम्हें यहाँ नहीं होना चाहिए..."

मुकेश के चेहरे का रंग उड़ गया। यह आवाज़ हवा में गूंज रही थी, लेकिन बोलने वाला कोई नहीं था। एक घबराहट ने उसे घेर लिया। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। वह समझ नहीं पा रहा था कि यह आवाज़ कहां से आ रही थी। अचानक रोहन की चीख गूंजी – "कोई मेरा हाथ पकड़ रहा है!"

मुकेश और बाकी दोस्त तुरंत मुड़े। रोहन अपने हाथ को कसकर पकड़कर खड़ा था, जैसे किसी ने उसकी कलाई को जकड़ लिया हो। उसकी आँखों में डर था, और उसकी सांसें तेज़ हो रही थीं। जब मुकेश ने टॉर्च की रोशनी डाली, तो उसकी कलाई पर गहरे नीले निशान थे, जैसे किसी ने लोहे की पकड़ से उसे दबाया हो। सब चुप थे, लेकिन डर उनके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था।

तभी, कार का इंजन अपने आप चालू हो गया और हेडलाइट्स धुंध के बीच किसी आकृति को दिखाने लगीं – एक लंबी छाया, जिसकी आँखें आग की तरह जल रही थीं, और उसका चेहरा धुंध के अंदर गायब हो चुका था। आकृति जैसे उनके करीब आ रही हो, लेकिन फिर अचानक गायब हो गई। यह दृश्य इतना डरावना था कि किसी के पास कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी।

मुकेश ने घबराकर चिल्लाया – "भागो!" वे सभी तेजी से कार में बैठे और वहाँ से भाग निकले। कार तेज़ रफ्तार से चलने लगी, लेकिन जैसे ही उन्होंने पीछे देखा, सड़क खाली थी, जैसे कुछ हुआ ही न हो। धुंध अब भी उसी तरह फैली हुई थी, लेकिन वह अजीब आकृति गायब हो चुकी थी। यह सब इतना अचानक हुआ था कि वे कुछ समझ नहीं पाए।

अगली सुबह, वे गांव के एक बुजुर्ग से मिले, जिन्होंने बताया कि कई साल पहले, इसी सड़क पर एक आदमी की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई थी। उसे भी किसी अदृश्य शक्ति ने अपनी ओर खींच लिया था। तब से यह सड़क भूतिया मानी जाती है। बुजुर्ग ने बताया कि कई लोग इस सड़क पर आते जाते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही सुरक्षित लौट पाते हैं। बाकी सब गायब हो जाते हैं।

मुकेश और उसके दोस्तों ने फैसला किया कि वे अब कभी ऐसी जगहों पर मस्ती के इरादे से नहीं जाएंगे। उन्होंने अपनी आँखों से देखा था कि धुंध में वाकई कुछ बसा हुआ था – एक अनदेखा डर, जो हर किसी को अपनी गिरफ्त में ले सकता था। वे समझ गए थे कि ये अफवाहें सिर्फ कहानियाँ नहीं थीं, बल्कि कुछ सच्चाई भी थी।

इस घटना के बाद, मुकेश और उसके दोस्त न सिर्फ़ डर गए थे, बल्कि उन्हें यह भी एहसास हुआ कि कभी-कभी जिन चीज़ों को हम सामान्य मानते हैं, उनमें छिपा हुआ डर हमें अपनी चपेट में ले सकता है। वह अब कभी भी बिना समझे-समझे किसी अनजान जगह पर जाने का जोखिम नहीं उठाते थे।

वे जानते थे कि यह अनुभव कभी भी उनके ज़हन से नहीं जाएगा। रात की ठंडी हवा, कार के अंदर की घबराहट, और वह अजीब आकृति – सब कुछ उन्हें हमेशा याद रहेगा। मुकेश ने खुद से यह वादा किया कि वह अब डर के आगे कभी नहीं झुकेगा। लेकिन उस डर का सामना करने की कीमत बहुत बड़ी थी।