यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ एक पुराना और वीरान घर था, जिसे लेकर गाँववाले अक्सर अजीब अफवाहें फैलाते थे। कई सालों से वह घर बंद पड़ा था, लेकिन एक रात, एक युवक ने उस घर में रात बिताने का साहस किया। उसका नाम रघु था, जो हमेशा रोमांच के पीछे भागता था। उसे गाँववालों की बातों पर विश्वास नहीं था और वह सोचता था कि यह सब बस मिथक हैं। लोग कहते थे कि रात में उस घर के भीतर अजीब-अजीब आवाजें आती थीं, लेकिन रघु का मानना था कि यह सिर्फ डर था।

एक दिन रघु ने ठान लिया कि वह उस घर में रात बिताएगा और देखेगा कि क्या वहाँ वाकई भूत-प्रेत हैं। रात का समय था, और रघु घर की ओर बढ़ा। जैसे ही वह घर के पास पहुँचा, हवा में अजीब सी ठंडक घुलने लगी। उसके शरीर में सिहरन दौड़ने लगी, लेकिन उसने डर को नजरअंदाज करते हुए अंदर जाने का निर्णय लिया। वह कदम दर कदम घर के पास बढ़ता गया, और उसे लगा जैसे कुछ देख रहा हो, लेकिन फिर भी वह अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटा।

घर के अंदर घुसते ही एक अजीब सी गंध आई, जैसे किसी पुराने कपड़ों और सड़े हुए मांस की। रघु ने कमरे की बत्तियाँ जलाईं, लेकिन वहाँ सिर्फ अंधेरा और खामोशी थी। उसके कदम घर के भीतर गूंज रहे थे, और जैसे-जैसे वह आगे बढ़ा, उसे महसूस हुआ कि किसी ने उसे घेर लिया है। उसने यह सोचा कि शायद वह अकेला नहीं है, लेकिन फिर भी उसने डर को नकारते हुए आगे बढ़ने का साहस दिखाया।

अचानक, उसने सुनी एक धीमी आवाज - "कौन है?" रघु ने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। उसने सोचा कि शायद यह उसकी कल्पना होगी, लेकिन फिर वही आवाज आई, अब तीव्र और डरावनी। रघु का दिल धड़कने लगा। उसने चुपके से बत्तियाँ बुझा दीं और कमरे के कोने में खड़ा हो गया। अंधेरे में उसकी आँखें चौकस हो गईं, और उसे हर छोटी सी आवाज पर कान लगाना पड़ा।

कुछ देर बाद, अंधेरे में एक हल्का सा धुंआ दिखाई दिया। यह धुंआ धीरे-धीरे बढ़ने लगा और एक अजीब साया रघु के सामने खड़ा हो गया। वह साया कुछ नहीं बोल रहा था, सिर्फ खड़ा था और उसकी आँखें रघु को घूर रही थीं। अचानक, उसने एक चुपके से हंसी की आवाज़ सुनी, जो बहुत ही खौ़फनाक थी। वह हंसी उसके दिल को ठंढा कर देती थी, और रघु को अब पूरी तरह से यकीन हो गया कि वह एक खौ़फनाक जगह पर है।

रघु का दिल अब जोर-जोर से धड़क रहा था। वह भागने के लिए मुड़ा, लेकिन दरवाजे की ओर जाने से पहले उसने देखा कि कमरे के सारे रास्ते बंद हो चुके थे। वह अकेला और घबराया हुआ था। अचानक, साया उसके पास आकर बोला, "तुम इस घर में नहीं बच सकते। तुम हमारे ही जैसे हो, अब तुम भी हमारे साथ हो।" रघु ने महसूस किया कि अब वह कहीं नहीं जा सकता था। उसे घेरने वाली हवा और आवाज़ें उसकी आत्मा तक पहुँच रही थीं।

रघु डर के मारे कांप रहा था, लेकिन उसने साहस जुटाया और चिल्लाया, "मुझे छोड़ दो!" लेकिन साया उसकी ओर बढ़ते हुए बोला, "तुमने हमें चुनौती दी है, अब तुम हमारा हिस्सा बनोगे।" उसके बाद, साया गायब हो गया और कमरे में एक अजीब सी खामोशी छा गई। रघु की साँसें तेज़ हो गईं, और वह समझ गया कि यह खौ़फ अब उसके लिए कभी खत्म नहीं होगा।

रघु ने फौरन घर से बाहर निकलने का फैसला किया, लेकिन जैसे ही वह दरवाजे की ओर बढ़ा, उसके सामने कई और भूतिया साये आ गए। वे उसकी ओर बढ़ते हुए कह रहे थे, "तुम हमारी दुनिया में आ चुके हो, अब तुम जा नहीं सकते।" रघु का दिल डर से बेज़ार हो चुका था, और वह पूरी तरह से घिर चुका था। उसे महसूस हुआ कि उसके पास कोई रास्ता नहीं था, और वह बुरी तरह से फंसा हुआ था।

रघु ने आखिरी बार एक बार कोशिश की, लेकिन वह अब किसी और दुनिया में था। गाँव में सुबह तक किसी ने भी उसकी आवाज़ नहीं सुनी। उसका शरीर पूरी तरह से कमजोर हो चुका था, और वह थककर गिर पड़ा। उस दिन के बाद से रघु और उस घर का कोई नाम-ओ-निशान नहीं मिला। गाँववालों का कहना है कि वह रात के भूतों के बीच फंसा था और अब वह भी उसी भूतिया दुनिया का हिस्सा बन चुका था। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि रघु की आत्मा अब रात के समय उसी घर में चहलकदमी करती है।

जब गाँववाले उस घर के पास से गुजरते थे, तो उन्हें कभी-कभी रघु की आवाज़ें सुनाई देती थीं। वह आवाज़ें कभी एक पुकार, कभी एक रोना होती थीं, लेकिन कोई भी नहीं जानता था कि यह आवाजें सच में रघु की थीं या वह खुद उन भूतों का हिस्सा बन चुका था। अब वह घर गाँववालों के लिए और भी डरावना बन चुका था, और किसी ने भी उस घर के पास जाने की हिम्मत नहीं की।