आदित्य एक शांत और खुशहाल जीवन जी रहा था। वह एक अच्छे पेशेवर जासूस था, लेकिन उसे नहीं पता था कि एक दिन वह खुद एक खतरनाक शिकारी का निशाना बन जाएगा। यह घटना तब हुई जब उसने एक गहरे रहस्य से जुड़े मामले की तहकीकात शुरू की। एक रात, जब वह अपने ऑफिस में अकेला था, उसे एक अजनबी का फोन आया। फोन करने वाला व्यक्ति गहरे और डरावने आवाज में बोला, "तुमसे अपनी जान का बदला लिया जाएगा, शिकारी तुम्हारा पीछा करेगा।" आदित्य ने पहले तो इसे एक मजाक समझा, लेकिन जल्द ही यह उसकी जिंदगी का सबसे डरावना सच साबित हुआ।
अगले दिन आदित्य ने अपने चहेते मामलों की सूची से एक पुराना और जटिल केस उठाया। यह मामला एक पुराने अमीर व्यापारी की हत्या से जुड़ा हुआ था। व्यापारी के परिवार ने आदित्य से इस मामले को सुलझाने की उम्मीद जताई थी, लेकिन जैसे-जैसे वह मामले की गहरी जांच करने लगा, उसे महसूस हुआ कि यह कोई साधारण हत्याकांड नहीं था। हत्या के बाद के कुछ दृश्य और सुराग उसे एक रहस्यमयी शिकारी के पास ले जा रहे थे।
एक दिन, आदित्य को एक पुरानी डायरी मिली, जिसमें कुछ अजीब संकेत और शब्द लिखे हुए थे। वह डायरी शिकारी के पिछले शिकारों का एक खतरनाक इतिहास दिखाती थी। डायरी पढ़ते हुए आदित्य को यह एहसास हुआ कि वह किसी बड़े खेल का हिस्सा बन चुका है, और उसका नाम अब शिकारी की सूची में था। जो व्यक्ति पहले उसे एक डरावनी चेतावनी दे चुका था, वही शिकारी था। आदित्य को जल्द ही समझ में आ गया कि वह अब खुद शिकारी का निशाना बन चुका था।
जैसे-जैसे आदित्य इस मामले की गहराई में गया, वह समझने लगा कि शिकारी उसे केवल एक साधारण शिकार मानने वाला नहीं था। शिकारी ने हर कदम पर उसे एक नए खतरे में डाल दिया था। एक रात आदित्य को अपनी कार में एक अजनबी कागज मिला, जिस पर लिखा था: "तुम्हारा पीछा किया जा रहा है, और अब तुम मेरे जाल में फंस चुके हो।" आदित्य के मन में अब यह सवाल उठने लगा कि क्या वह इस शिकारी के जाल से बच पाएगा, या यह खेल उसे हमेशा के लिए अपनी चपेट में ले लेगा।
एक दिन, आदित्य एक पुराने पुल के पास पहुंचा, जहाँ उसे एक और डरावनी चेतावनी मिली। यह चेतावनी उसे एक और खतरनाक मोड़ पर लेकर जा रही थी। अचानक, उस पुल के पास एक गाड़ी रोकी, और आदित्य को उसमें एक व्यक्ति नजर आया। वह व्यक्ति उसी डरावनी आवाज में बोला, "अब तुम्हारी जिंदगी मेरी शिकार है, और तुम्हारे पास बचने का कोई रास्ता नहीं है।" आदित्य के मन में यह ख्याल आया कि अब उसकी जिंदगी इस शिकारी के हाथों में है, और उसे अपने सभी शिकारों का बदला लेना होगा।
आदित्य ने तय किया कि वह शिकारी का शिकार नहीं बनेगा। उसने हर एक सुराग का पीछा करना शुरू किया। उसकी आँखों में एक दृढ़ संकल्प था—वह शिकारी को हर हाल में पकड़ लेगा। कई दिनों की कड़ी मेहनत के बाद, आदित्य ने शिकारी को ट्रैक किया। वह शिकारी एक छुपे हुए घर में छिपा हुआ था। आदित्य ने उसके पीछे छुपकर उसे पकड़ने का फैसला किया।
जब आदित्य शिकारी के पास पहुँचा, तो उसने देखा कि वह शिकारी कोई और नहीं, बल्कि वही आदमी था जिसने उसे पहले फोन किया था। आदित्य को समझ में आ गया कि इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड वही था। शिकारी ने आदित्य से कहा, "तुमने बहुत अच्छा खेला, लेकिन अब तुम्हारे पास समय कम है।" आदित्य ने शिकारी को पकड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी, और आखिरकार वह उसे पकड़ने में सफल हो गया। शिकारी का चेहरा अब आदित्य के सामने था, और उसने आदित्य से कहा, "तुमने इस खेल को जीत लिया है, लेकिन मैं हमेशा तुम्हारे पास रहूँगा, शिकारी का निशाना कभी नहीं भूल सकता।"
आदित्य ने शिकारी को पुलिस के हवाले कर दिया, लेकिन उसे यह समझ में आ गया कि वह कभी भी अपने साथ छिपे हुए खतरे से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो सकता। शिकारी का निशाना हमेशा उसके जीवन में एक अंधेरे साये की तरह रहेगा।
पुलिस ने शिकारी की गहरी जांच शुरू की, लेकिन आदित्य के मन में कुछ खटक रहा था। उसने महसूस किया कि शिकारी ने अपने सभी शिकारों का खौ़फनाक रूप से पीछा किया था, और अब वह आदित्य के जीवन का हिस्सा बन चुका था। आदित्य के पास अब वह डायरी थी, जिसे उसने शिकारी से जुड़ी हर जानकारी पाने के लिए पढ़ा था। हर पन्ने पर एक नई डरावनी कहानी छिपी हुई थी, और अब आदित्य को यह समझ में आ रहा था कि शिकारी की शिकार की सूची में कोई और नाम छिपा हो सकता था।
आदित्य को अब यह महसूस हुआ कि शिकारी को पकड़ना केवल एक शुरुआत थी, और असली खतरा अभी खत्म नहीं हुआ था। वह लगातार उस डायरी को पढ़ता रहा और हर एक सुराग को जोड़ने की कोशिश करता रहा। उसे लगा कि शिकारी के निशाने पर अब वह अकेला नहीं था, बल्कि उसके आसपास के लोग भी इसके प्रभाव में आ सकते थे। आदित्य ने अपने करीबी दोस्तों और परिवार को इस खतरे के बारे में आगाह किया, लेकिन वह जानता था कि उनका बचाव तब तक नहीं हो सकता जब तक शिकारी का जाल पूरी तरह से नहीं तोड़ा जाता।
एक दिन आदित्य को शिकारी के पुराने शिकारों के बारे में कुछ जानकारी मिली, जो पूरी तरह से अनदेखी की गई थी। एक शिकार के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करते हुए, आदित्य ने महसूस किया कि शिकारी कभी भी सिर्फ अपने शिकार पर हमला नहीं करता था—वह हमेशा एक गहरी योजना बनाता था। आदित्य ने अपनी जासूसी की सारी कड़ी जोड़ने की कोशिश की और यह समझा कि शिकारी का अगला शिकार भी किसी करीबी व्यक्ति का हो सकता है।
आदित्य ने एक आखिरी कोशिश करने का फैसला किया और शिकारी के पुराने शिकारों के परिवारों से संपर्क किया। यह काम उसे खतरनाक महसूस हुआ, लेकिन आदित्य ने अपने अंदर एक हिम्मत जगी। वह अब इस खेल के असली मास्टर की पहचान कर चुका था। शिकारी ने अपनी पूरी योजना के तहत हर एक शिकार को अपने जाल में फंसाया था, और अब आदित्य को उस जाल को तोड़ने का रास्ता मिल चुका था।
आदित्य ने खुद को पूरी तरह से शिकारी के खिलाफ तैयार किया। उसे एहसास हुआ कि इस बार वह शिकारी के जाल में नहीं फंसेगा। वह अपने दोस्तों और पुलिस के साथ मिलकर शिकारी के अगले कदम का सामना करने के लिए तैयार था। आदित्य ने खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार किया ताकि शिकारी का हर चाल का सही जवाब दिया जा सके।
एक रात, आदित्य को फिर से वही डरावनी आवाज सुनाई दी। लेकिन इस बार वह डर के बजाय एक ठान लेने वाली भावना के साथ खड़ा था। शिकारी का सामना करते हुए, आदित्य ने उसे कहा, "अब तुमसे मैं नहीं डरता। तुम जितना चाहो, उतना खेल सकते हो, लेकिन अब तुम हार चुके हो।" शिकारी ने उसकी आंखों में घृणा और नाराजगी देखी, लेकिन आदित्य ने यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ शिकारी का शिकार नहीं बनेगा, बल्कि वह उसका शिकारी बनेगा।
शिकारी ने आदित्य को चुनौती दी, लेकिन इस बार आदित्य की तैयारी पक्की थी। पुलिस ने शिकारी को घेर लिया और आदित्य ने उसे पकड़ने के बाद उसे सीधे जेल भेज दिया। लेकिन आदित्य जानता था कि यह संघर्ष कभी खत्म नहीं होने वाला था, क्योंकि शिकारी की तरह एक खतरा हमेशा उसके जीवन के आसपास मंडराता रहेगा।