समय, हमेशा से रहस्यमयी रहा है, लेकिन कभी किसी ने नहीं सोचा था कि वह खुद इंसान की जिंदगी में भी एक खतरनाक खेल बन सकता है। यह कहानी एक ऐसे आदमी की है, जो समय के बादलों में फंस गया और उसे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिला।
मोहन, एक सामान्य सा आदमी था, जो अपने जीवन को सादा तरीके से जी रहा था। लेकिन एक दिन, जब उसने एक पुरानी घड़ी खरीदी, तब उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। घड़ी पर एक अजीब सा निशान था, जिसे देखकर मोहन का मन भय से भर गया। पहले तो उसने इसे नजरअंदाज किया, लेकिन धीरे-धीरे वह महसूस करने लगा कि वह जो समय देख रहा है, वह सामान्य नहीं था। घड़ी का कांटा अपनी दिशा बदलता, और समय भी उलझने लगता।
एक दिन, मोहन ने देखा कि घड़ी के कांटे अचानक रुक गए थे, और उसके बाद वह समय ही गायब हो गया। वह घड़ी में कैद हो गया था, जैसे वह समय के किसी पंछी के जाल में फंस चुका था। वह दिन और रात के बीच के अंतर को भूल चुका था। कभी वह अतीत में चला जाता, कभी भविष्य में। उसकी हर सुबह, हर रात एक नई उलझन बनकर सामने आती।
मोहन का दिमाग पूरी तरह से घबराहट से भर चुका था। उसने घड़ी को खोलने की कोशिश की, लेकिन हर बार वह नाकाम हो जाता। वह महसूस करने लगा कि घड़ी को खोलना कोई साधारण काम नहीं था। घड़ी का कांटा हर बार उसे एक नई दिशा में खींच ले जाता। वह सोचने लगा, क्या यह घड़ी उसे किसी जादू के जाल में फंसा रही है, या फिर यह कोई भूतिया घटना है?
एक रात, मोहन ने घड़ी की आवाज़ सुनी, जो धीरे-धीरे तेज होती जा रही थी। यह कोई सामान्य आवाज़ नहीं थी, बल्कि जैसे समय खुद बोलने लगा था। घड़ी ने कहा, "तुमने मुझे चुना है, अब तुम्हें मेरी सजा भुगतनी होगी।" मोहन का दिल घबराहट से धड़कने लगा। वह समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या हो रहा है। क्या वह कभी इस घड़ी के प्रभाव से बाहर निकल पाएगा?
मोहन ने घड़ी को छुपाने का निर्णय लिया, लेकिन जब उसने घड़ी को किसी सुरक्षित स्थान पर रखा, तो उसे महसूस हुआ कि समय का पीछा कभी नहीं छोड़ता। घड़ी उसे हर पल घेर रही थी, जैसे वह किसी बुरे सपने में फंस चुका हो। उसने घड़ी को फेंकने का भी प्रयास किया, लेकिन जैसे ही वह घड़ी से दूर जाता, समय उसे फिर से खींच लेता।
कई दिनों बाद, एक अजनबी व्यक्ति मोहन के पास आया। वह व्यक्ति मोहन को देखकर बोला, "तुमने घड़ी को छुआ है, लेकिन अब तुम्हें इसका सही इस्तेमाल सीखना होगा, या फिर तुम्हारा समय हमेशा के लिए उलझा रहेगा।" मोहन को लगा जैसे वह किसी पागलपन में फंस चुका हो। लेकिन उस व्यक्ति ने उसे यह समझाया कि समय को नियंत्रित करना केवल वही कर सकते हैं, जो घड़ी की ताकत को समझ पाते हैं।
मोहन ने उस व्यक्ति की बातों को गंभीरता से लिया और घड़ी के रहस्यों को सुलझाने की कोशिश करने लगा। धीरे-धीरे, उसने महसूस किया कि वह अब घड़ी के साथ सही तालमेल बना पा रहा था। समय अब उसे परेशान नहीं कर रहा था, बल्कि वह अब घड़ी के जादू को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने में सक्षम हो गया था।
लेकिन मोहन जानता था कि यह घड़ी एक खतरनाक खेल है, और कभी भी समय की गति बदल सकती है। उसे घड़ी से निकलने का कोई स्थायी उपाय नहीं मिला था। वह अब जानता था कि समय के बादलों से जूझते हुए उसे कभी भी अपने कदम पीछे नहीं खींचने चाहिए, वरना वह फिर से उसी समय में फंस सकता था, जिससे निकलने का कोई रास्ता नहीं था।
लेकिन मोहन की खुशी बहुत दिन नहीं चली। एक दिन, घड़ी में अचानक एक और बदलाव आया। घड़ी के कांटे उल्टी दिशा में घूमने लगे, और समय को नियंत्रित करना उसके लिए और भी कठिन हो गया। वह अब समझने लगा था कि घड़ी के साथ खेलने से न केवल समय को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि यह समय से जुड़ी कई गलतियाँ भी पैदा कर सकता है।
मोहन अब घड़ी के रहस्यों को समझ चुका था, लेकिन वह इस सजा से बचने का कोई रास्ता नहीं खोज पा रहा था। जैसे-जैसे घड़ी की ताकत बढ़ने लगी, वैसे-वैसे मोहन का मानसिक संतुलन भी बिगड़ने लगा। वह घड़ी को तोड़ने की कोशिश करता, लेकिन हर बार वह असफल हो जाता। एक दिन, उसने यह महसूस किया कि वह अब समय के चक्र में फंस चुका था, और अब उसे कभी बाहर नहीं निकलना था।
एक रात, मोहन ने देखा कि घड़ी के कांटे अचानक बहुत तेज़ी से चलने लगे। वह डर से कांपते हुए भागने की कोशिश करता है, लेकिन वह हर जगह वही घड़ी देखता है। घड़ी ने जैसे ही उसका पीछा छोड़ना शुरू किया, एक अजीब सी रोशनी उसके सामने आई और सब कुछ धुंधला हो गया। मोहन को महसूस हुआ कि अब वह किसी दूसरी दुनिया में पहुंच चुका है। समय अब उसके लिए बस एक सपना बन चुका था।
मोहन का जीवन अब पूरी तरह से बदल चुका था। घड़ी के प्रभाव से वह समय के किसी और आयाम में फंस चुका था। वह समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या कर रहा था, और उसकी जिन्दगी एक बड़े अंधेरे में खो चुकी थी। वह अब समय से अधिक खुद को खोने लगा था।
अब मोहन को यह एहसास हुआ कि घड़ी के जादू से बचने का कोई रास्ता नहीं था। उसे यह समझ में आया कि उसने कभी समय को इस तरह से नहीं खेलना चाहिए था। यह घड़ी सिर्फ एक वस्तु नहीं थी, बल्कि यह समय का प्रतीक थी, जिसे उसने अनजाने में चुनौती दी थी। अब समय के बादल उसे हमेशा के लिए घेरे हुए थे।