एक शाम, सुमित अपने ऑफिस से घर लौट रहा था, जब उसकी मोबाइल पर एक अजनबी नंबर से कॉल आई। उसने फोन उठाया, और दूसरी तरफ से एक गहरी आवाज आई, "कौन हैं आप?" सुमित ने सोचा कि यह कोई मजाक होगा, लेकिन फिर आवाज़ में कुछ ऐसा था कि वह खौ़फ में आ गया। “आप मुझे नहीं जानते,” वह बोला, “आप कौन हैं?” लेकिन वह आवाज़ चुप रही और फिर एक कटा हुआ वाक्य बोला, “तुम्हें सब कुछ याद आ जाएगा।” और कॉल कट गई।
सुमित यह सोचकर परेशान हो गया कि क्या यह मजाक था या कुछ और। वह घर लौटा, लेकिन उसकी मानसिक स्थिति ऐसी हो गई कि हर कदम पर उसे यही सवाल घेरता रहा – "कौन हैं आप?" कई दिनों तक यही रुक-रुक कर कॉल्स आने लगीं, लेकिन हर बार उसी रहस्यमयी आवाज़ ने उसे तंग किया। एक दिन, सुमित ने तय किया कि वह इस रहस्य को हल करेगा। उसकी एक ही चिंता थी - क्या ये कॉल उसके अतीत से जुड़ी हुई हैं?
अगले दिन, उसने अपनी पुरानी दस्तावेज़ों की छानबीन की और पुराने फोन नंबर चेक किए। अचानक उसकी नजर एक नाम पर पड़ी - "विवेक वर्मा"। यह नाम सुमित को अजनबी सा लगा, लेकिन उसे यह भी याद आया कि यह नाम उसे कहीं न कहीं बहुत परिचित सा लग रहा था। क्या वह विवेक वह शख्स था, जिसके साथ कुछ बड़ा हुआ था और जिसे वह भूल चुका था? क्या इन कॉल्स का इसी से कुछ संबंध था?
सुमित ने विवेक वर्मा के बारे में और जानने के लिए एक निजी जासूस को हायर किया। जासूस ने बहुत गहरी तफ्तीश की और एक चौंकाने वाली जानकारी दी – विवेक वर्मा सुमित के पुराने स्कूल का दोस्त था, जिसे एक अजीब हादसे में गुमशुदा घोषित किया गया था। उस हादसे के बाद सुमित का नाम ही मीडिया में उभर आया था, लेकिन सुमित को कभी यह नहीं बताया गया कि उसके साथ क्या हुआ। यह भी पता चला कि सुमित और विवेक के बीच कोई रहस्यमयी लिंक था, जो अब तक किसी को नहीं पता था।
सुमित के होश उड़ गए। क्या वह हादसा सच में हुआ था? उसने कभी भी नहीं सोचा था कि उसका नाम इस मामले में शामिल हो सकता था। क्या वह उस हादसे में किसी तरह शामिल था? सुमित ने अपने अतीत से कनेक्ट होने की कोशिश की और पुरानी यादों को ताजा करने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह कुछ खास नहीं जान पाया।
एक दिन, सुमित को उसी रहस्यमयी कॉल का सामना फिर से हुआ, लेकिन इस बार बात कुछ अलग थी। आवाज ने कहा, "सुमित, तुम्हारी याददाश्त वापस आ रही है। हम तुमसे तुम्हारी सबसे बड़ी भूल की सजा लेंगे।" सुमित ने डरते हुए पूछा, "कौन हो तुम?" और आवाज़ बोली, "तुम्हें याद नहीं, सुमित? हम वो लोग हैं जिन्होंने तुम्हारी मदद की थी, और तुमने हमें धोखा दिया। अब हम तुम्हारी सजा लेने आए हैं।"
सुमित की आँखों के सामने अंधेरा छा गया। वह क्या कर सकता था? क्या वह सच में किसी अपराध में शामिल था? उसे याद आया कि वह एक पुराने मामले में गवाही देने वाला था, और शायद उसे चुप रहना पड़ा था, क्योंकि उस मामले में विवेक का नाम भी था। क्या वह हादसा सच में एक हादसा था, या वह एक खतरनाक साजिश का हिस्सा था? ये सवाल उसे परेशान कर रहे थे, और अब वह अकेला महसूस कर रहा था।
सुमित ने तय किया कि वह इस रहस्य को सुलझाएगा। उसने खुद को तैयार किया और विवेक वर्मा से मिलने का निर्णय लिया। वह जानता था कि अगर उसे अपनी पूरी कहानी जाननी है, तो उसे सीधे विवेक से पूछना होगा। एक रात, सुमित ने विवेक का घर ढूंढ़ निकाला और उसके दरवाजे पर खड़ा होकर घंटी बजाई।
विवेक ने दरवाजा खोला, और सुमित को देखकर उसके चेहरे पर एक अजीब मुस्कान आ गई। "तुम आए हो, सुमित। मुझे पता था कि तुम मुझे ढूंढोगे," विवेक ने कहा। सुमित ने गुस्से में पूछा, "तुम कौन हो, और क्यों मुझे परेशान कर रहे हो?" विवेक ने हंसते हुए कहा, "तुम ही तो मेरे सवाल का जवाब हो, सुमित। तुम जो भूल चुके हो, वही तुम्हारी सबसे बड़ी सच्चाई है। अब समय आ गया है कि तुम अपनी भूल का सामना करो।"
इस कहानी का खुलासा करते हुए विवेक ने बताया कि वह सुमित का पुराना दोस्त था और दोनों की ज़िंदगी उस हादसे के बाद बदल गई थी। वह हादसा एक साजिश थी, जिसे सुमित की मदद से अंजाम दिया गया था, लेकिन वह खुद इसे भूल चुका था। अब विवेक ने उसे याद दिलाया कि एक समय था जब सुमित भी उस साजिश का हिस्सा था, और अब वह खुद को उस सच्चाई से बचा नहीं सकता था।
अब सुमित को अपनी ज़िंदगी के सबसे बड़े धोखे का अहसास हुआ। "कौन हैं आप?" का सवाल सिर्फ उसके अतीत का हिस्सा नहीं था, बल्कि एक बड़ा रहस्य था, जो सुमित को उसके अतीत से जुड़ा हुआ था। सुमित ने अंततः अपनी भूल का सामना किया और अपने आप को उस अतीत से मुक्त किया, जिससे वह खुद को बचाता आ रहा था।
सुमित की आँखों में अब यह समझ आ गया था कि उसे अपनी ज़िंदगी को फिर से सही दिशा में ले जाना होगा। विवेक से जुड़ा उसका अतीत एक मरे हुए रहस्य की तरह था, जो अब बाहर आ चुका था। उसे यह महसूस हुआ कि अपनी भूल को छुपाना और इसे न देखना कोई हल नहीं था। यह समय था अपने अतीत को स्वीकारने का।
अब सुमित ने तय किया कि वह अकेले इस दुनिया से नहीं लड़ेगा। वह अपनी खोई हुई यादों और समझ को वापस लाने की कोशिश करेगा। उसे यह अब समझ में आ गया था कि एक सच्चे इंसान को अपना अतीत छोड़कर आगे बढ़ने की बजाय अपने अतीत से जूझते हुए, उसकी सच्चाई को स्वीकारना होता है।
अंत में, सुमित ने विवेक से हाथ मिलाया और दोनों ने मिलकर अपनी खोई हुई सच्चाई को दुनिया के सामने लाने का निश्चय किया। "कौन हैं आप?" का सवाल अब उसके लिए सिर्फ एक सामान्य सवाल नहीं रह गया था, बल्कि उसकी ज़िंदगी में एक अहम मोड़ बन चुका था।