राघव का जीवन शांत था, पर पिछले कुछ दिनों से उसे हर रात एक अजीब सपना आ रहा था। यह सपना उसे हर रात डराने लगा था, और वह जानता था कि कुछ गलत हो रहा है। हर रात वही खौ़फनाक सपना उसे देखने को मिलता, जिसमें वह एक अंधेरे कमरे में बंद होता और उसके सामने खून से सना हुआ चेहरा दिखाई देता।
राघव के लिए यह सिर्फ एक सपना था, लेकिन जैसे-जैसे रातें बढ़ती गईं, वह समझने लगा कि यह सपना उसकी हकीकत में बदलने जा रहा है। एक रात, जब वह सो रहा था, अचानक उसकी आँखें खुली। उसने महसूस किया कि उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है, लेकिन तभी उसे खून के धब्बे अपने कमरे में दिखाई दिए।
राघव ने डरते हुए कमरे का निरीक्षण किया, लेकिन यह खून का धब्बा उसे उसकी ख्वाबों से जुड़ा हुआ लगा। जैसे ही वह दरवाजे की ओर बढ़ा, उसने खटकी हुई आवाज़ सुनी। दिल में अजीब सी घबराहट थी, लेकिन वह फिर भी कमरे से बाहर जाने की कोशिश करने लगा। उसे लगा जैसे कोई उसके पीछे है, लेकिन जब उसने पलटकर देखा, तो कुछ भी नहीं था। वह गहरी साँस लेकर दरवाजा खोलने के लिए बढ़ा।
राघव ने दरवाजा खोला और देखा कि वही खून से सना चेहरा उसके सामने खड़ा था। वह डर के मारे कांपने लगा, और तब उसने महसूस किया कि वह ख्वाब नहीं, बल्कि उसकी वास्तविकता बन चुकी थी। वह चेहरा धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा और बोला, "तुमसे मिलना मेरे लिए ज़रूरी था, राघव। तुमने मुझे बहुत कुछ दिया है, अब मैं तुम्हें वह दूंगा, जो तुम चाहते हो।"
राघव डरते हुए बोला, "तुम कौन हो?" चेहरा हंसते हुए कहने लगा, "तुमने ही मुझे देखा है, और अब तुम मेरे ख्वाबों का हिस्सा बन चुके हो। मैं तुम्हारा पीछा करूंगा, राघव।" यह कहते हुए चेहरा गायब हो गया, और राघव बुरी तरह से डर के मारे कांपने लगा। वह अपनी आँखों पर यकीन नहीं कर पा रहा था, और सोचने लगा कि वह इस अजीब ख्वाब से कब बाहर निकलेगा।
अगले दिन, राघव ने पूरी घटना अपने दोस्तों को बताई, लेकिन उन्हें यकीन नहीं हुआ। उसने हर कदम पर डर महसूस किया, जैसे वह किसी खौ़फनाक घटनाओं के बीच फंसा हुआ हो। फिर एक दिन, राघव ने उसी अंधेरे कमरे में जाना तय किया, जहाँ उसके सपने उसे बार-बार खींचते थे। यह उसकी आखिरी कोशिश थी, ताकि वह इस रहस्य को सुलझा सके। क्या वह सच में अपने ख्वाबों से बाहर निकल सकता था, या यह सब उसके जीवन का हिस्सा बन चुका था?
जब वह कमरे में गया, तो वह देख कर चौंका कि वही चेहरा वहाँ खड़ा था। इस बार चेहरा उसे चुपचाप घूर रहा था, और राघव को समझ आ गया कि वह अब इस ख्वाब से बाहर नहीं निकल सकता। वह चेहरा बोल पड़ा, "तुमने मेरा पीछा किया था, अब तुम कभी बाहर नहीं जा सकोगे। तुम्हारा ख्वाब अब तुम्हारी जिंदगी बन चुका है।" राघव की आँखों में आँसू थे, और वह अब पूरी तरह से इस सच्चाई को स्वीकार कर चुका था कि उसके ख्वाब अब कभी खत्म नहीं होंगे।
राघव को अब यह समझ आ गया था कि उसने जिस ख्वाब को कभी नजरअंदाज किया था, वह अब उसके जीवन का हिस्सा बन चुका था। और अब वह ख्वाब उसे छोड़ने वाला नहीं था। वह समझ गया था कि यह सिर्फ एक बुरा सपना नहीं था, बल्कि कुछ और था, जो उसे और उसके जीवन को हमेशा के लिए प्रभावित करेगा। राघव अब इस रहस्य को समझ चुका था कि कुछ ख्वाब हमारे लिए चेतावनी होते हैं, और अगर हम उन्हें नजरअंदाज करते हैं, तो वे हमारे जीवन में असलियत बनकर घुस जाते हैं।
वह चेहरा अब रात के अंधेरे में उसे हर जगह नजर आता था। राघव को ऐसा लगता कि वह कहीं भी जाए, वह चेहरा उसका पीछा करेगा। समय बीतता गया, लेकिन राघव के सपने और उसका पीछा करने वाला चेहरा कभी नहीं गया। उसने अपनी पूरी जिंदगी इसी डर में जीनी शुरू कर दी, मानो वह कभी भी इस खौ़फनाक ख्वाब से बाहर नहीं निकल पाएगा।
राघव को यह समझ में आ गया कि उसके ख्वाब अब उसकी हकीकत बन चुके थे। उसे अब यह लगता था कि यह ख्वाब अब किसी और के नहीं, बल्कि उसकी ज़िंदगी का हिस्सा था। वह खुद को भाग्य के साथ समझौता करने की स्थिति में पा रहा था, और समझने लगा था कि कभी-कभी हमें अपनी किस्मत के खिलाफ लड़ने का कोई फायदा नहीं होता।
एक रात, जब राघव अपने कमरे में अकेला था, तो अचानक वही खून से सना चेहरा फिर से सामने आया। इस बार चेहरा और भी ज्यादा विकृत हो चुका था। उसकी आँखों में खून की लकीरें थीं और उसकी मुस्कान में अजीब सा घृणा थी। चेहरा बोला, "तुम समझते हो कि भागकर बच सकते हो? नहीं, राघव, अब तुम कभी भी इस ख्वाब से बाहर नहीं निकल पाओगे।"
राघव को अब लगता था कि यह चेहरा सिर्फ सपना नहीं, बल्कि उसके अस्तित्व को चुनौती देने वाला कुछ था। वह जानता था कि यह एक गहरी साजिश का हिस्सा था, जो उसे किसी अनजानी ताकत से जकड़े हुए था। वह डर और घबराहट से भरपूर था, लेकिन उसने ठान लिया था कि अब वह इस रहस्य को सुलझाकर ही रहेगा।
राघव ने सोचा, "क्या यह सब कोई शाप है? क्या मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ है, जो मुझे ख्वाबों में उलझा दिया गया?" उसने अपनी यादों को खंगालना शुरू किया। क्या वह कहीं, कभी, कुछ ऐसा कर चुका था, जिससे ये खौ़फनाक ख्वाब उसे घेरे हुए थे? वह रातभर सोचता रहा, और धीरे-धीरे उसे महसूस हुआ कि उसकी यादों में कुछ गुम हो गया था, कुछ ऐसा जो वह समझ नहीं पा रहा था।
एक दिन, राघव ने अपने पुराने घर के दस्तावेज़ खंगाले। उसने एक पुराने पत्र को देखा, जो उसके दादा से जुड़ा हुआ था। पत्र में लिखा था, "तुम्हारा जन्म एक रहस्य से जुड़ा है, और तुम उस रहस्य के बादल को देखोगे। लेकिन याद रखना, उस बादल को पार करने से पहले तुम्हें सच्चाई का सामना करना होगा।" राघव को यह पत्र पढ़कर समझ में आया कि उसकी कहानी कहीं और से जुड़ी हुई थी।
यह पत्र उसके जीवन के सबसे बड़े राज का हिस्सा था। राघव को एहसास हुआ कि वह न सिर्फ अपने ख्वाबों के घेरे में था, बल्कि यह सब एक साजिश का हिस्सा था, जिसे सुलझाना अब उसकी जिम्मेदारी थी। अब वह जानता था कि अगर उसे इस ख्वाब से छुटकारा पाना है, तो उसे खुद की आत्मा की गहराई में उतरना होगा।
राघव ने अपनी यात्रा शुरू की, और उसने सोचा, "अब मैं उन ख्वाबों को समझूंगा, और उन्हें अपनी हकीकत से अलग करूंगा।" वह तय करके निकला कि चाहे जो हो, वह उस अंधेरे से बाहर निकलेगा, जो उसे अपनी जंजीरों में जकड़े हुए था।