बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव के पास एक बड़ा और पुराना पेड़ खड़ा था। वह पेड़ इतना बड़ा और ऊँचा था कि उसकी शाखाएँ आसमान तक पहुँचती थीं। गाँव के सभी बच्चे उस पेड़ के नीचे खेलते और आराम करते थे। पेड़ के बारे में एक खास बात थी - वह पेड़ अपनी एक अनोखी धुन गाता था। यह धुन किसी को सुनाई नहीं देती थी, लेकिन जिन बच्चों ने ध्यान से सुनी थी, वे उसे महसूस कर सकते थे।
एक दिन, गाँव में एक छोटा लड़का आया जिसका नाम था राहुल। राहुल नए गाँव में आया था और उसे वहाँ के लोग और उनके खेल बहुत अच्छे लगे। लेकिन राहुल को पेड़ की धुन के बारे में नहीं पता था। वह हमेशा सोचता था, "यह पेड़ इतना पुराना और बड़ा है, इसमें कोई खास बात तो जरूर होगी।"
एक दिन राहुल पेड़ के नीचे बैठा था, और उसे लगा कि जैसे पेड़ कुछ गा रहा हो। उसकी जड़ों में हलचल हो रही थी, और शाखाओं से हल्की सी आवाजें आ रही थीं। राहुल को ये आवाजें बहुत सुंदर लगीं, और उसने सोचा, "क्या यह धुन है?"
राहुल ने गाँव के बच्चों से पूछा, "क्या तुम लोग कभी पेड़ की धुन सुनते हो?" बच्चों ने जवाब दिया, "हां, हम सब पेड़ की धुन सुनते हैं, लेकिन इसे सुनने के लिए तुम्हें अपने दिल से सुनना होगा। पेड़ की धुन केवल वही सुन सकता है जो दिल से सुने।"
राहुल ने बच्चों की बातों को समझा और फिर से ध्यान से पेड़ की ओर सुना। इस बार, उसने ध्यान से सुनी और वह भी पेड़ की धुन को महसूस करने लगा। वह धुन बहुत शांत और मधुर थी, जैसे हवा, पत्तों और शाखाओं की आपसी बातचीत। पेड़ गा रहा था, "तुम अगर ध्यान से सुनोगे तो प्रकृति की सच्ची आवाज़ सुन सकते हो।"
उस दिन के बाद राहुल हर दिन पेड़ के पास बैठता और उसकी धुन सुनता। उसे लगता कि पेड़ की धुन उसे शांत और खुशहाल बना देती है। धीरे-धीरे गाँव के बाकी बच्चों ने भी राहुल से पेड़ की धुन के बारे में सुना और वे भी पेड़ के पास आने लगे। अब पेड़ की धुन सिर्फ एक आवाज नहीं थी, बल्कि एक जादू था जो सभी को शांति और प्रेम का अहसास कराता था।
एक दिन गाँव के बुजुर्ग ने बच्चों से कहा, "यह पेड़ हमें जीवन की सच्चाई सिखाता है। यह हमें बताता है कि अगर हम अपने दिल से सुनें, तो हम हर जगह प्रकृति की सुंदरता और धुन को महसूस कर सकते हैं।" बच्चों ने बुजुर्ग की बातों पर ध्यान दिया और समझा कि प्रकृति के साथ तालमेल बनाए रखना कितना ज़रूरी है।
अब, जब भी बच्चों को कोई चिंता होती, वे पेड़ के पास जाते और उसकी धुन सुनते। धुन सुनते-सुनते उनका मन शांत हो जाता, और वे फिर से खुश रहते थे। पेड़ की धुन ने सबको यह सिखाया कि जीवन में शांति और संतुलन केवल सुनने से नहीं, बल्कि समझने से भी आता है।
सीख: "प्रकृति की आवाज़ को सुनना और समझना, हमें शांति और संतुलन देता है।"
समाप्त