जंगल के एक छोटे से हिस्से में एक कछुआ रहता था। उसका नाम था तूफान। तूफान का सपना था कि वह एक दिन सबसे तेज़ दौड़ने वाला जानवर बनेगा। लेकिन उसकी धीमी गति और छोटे कदमों की वजह से दूसरे जानवर अक्सर उसका मजाक उड़ाते थे। उसे लगता था कि क्या कभी वह अपने सपने को सच कर पाएगा?

एक दिन जंगल में एक बड़ा दौड़ का आयोजन हुआ, जिसमें सभी जानवर भाग लेने वाले थे। तूफान ने भी यह सोचा कि अगर वह इस दौड़ में जीत गया, तो वह अपने सपने को साकार कर सकेगा। लेकिन उसके मन में डर था। उसे यकीन था कि वह धीमा है और शायद वह कभी भी जीत नहीं पाएगा।

दौड़ के दिन, सभी जानवर इकट्ठे हुए। खरगोश, हाथी, और लोमड़ी जैसे तेज़ दौड़ने वाले जानवरों को देखकर तूफान थोड़ा घबराया। उसने सोचा, "क्या मेरी धीमी गति के साथ मैं कभी जीत पाऊँगा?" लेकिन उसने सोचा कि उसे कोशिश जरूर करनी चाहिए, क्योंकि अगर उसने कोशिश नहीं की तो वह कभी नहीं जान पाएगा कि वह जीत सकता था।

दौड़ शुरू हुई। खरगोश ने तुरंत तेज़ी से दौड़ लगाई और कुछ ही पल में वह कछुए से बहुत आगे निकल गया। तूफान धीरे-धीरे और आराम से अपने कदम बढ़ा रहा था। सब जानवर उसे देखकर हंस रहे थे। लेकिन तूफान ने हार मानने का नाम नहीं लिया। उसने खुद से कहा, "मेरे छोटे कदम भी मुझे मेरे लक्ष्य के पास ले जा सकते हैं।"

धीरे-धीरे, खरगोश दौड़ते-दौड़ते थककर आराम करने के लिए रुक गया। वह सोचने लगा कि उसे इतनी तेज़ी से दौड़ने की जरूरत नहीं है, और इस बीच तूफान ने धीरे-धीरे कदम बढ़ाए। वह लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता गया, बिना रुके।

जब खरगोश सो रहा था, तूफान ने अपनी गति बढ़ाई और चुपचाप लक्ष्य की ओर बढ़ता गया। थोड़ी देर बाद, खरगोश की नींद खुली, लेकिन उसे यह देखकर चौंका दिया कि कछुआ अब उसके बहुत पास पहुंच चुका था। खरगोश ने दौड़ शुरू की, लेकिन कछुआ पहले ही लक्ष्य तक पहुँच चुका था।

तूफान ने जीत हासिल की, और सभी जानवर हैरान रह गए। कछुआ अपनी धीमी गति और छोटे कदमों के साथ जीतने में सफल हुआ था। सब जानवरों ने उसकी मेहनत और धैर्य को सराहा। खरगोश ने कहा, "तूफान, तुम्हारी जीत ने मुझे यह सिखाया कि कभी भी किसी को उसके धीमे कदमों या छोटी गति के कारण कमजोर नहीं समझना चाहिए।"

तूफान मुस्कराते हुए बोला, "सपने सच होते हैं, अगर हम उन्हें हासिल करने के लिए मेहनत करें और कभी हार न मानें।"

सीख: "धैर्य और मेहनत से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। गति मायने नहीं रखती, लक्ष्य तक पहुँचने की कड़ी मेहनत ही सबसे जरूरी है।"

समाप्त