विवेक एक सामान्य इंसान था, जो किसी भी अपराध या साजिश से दूर रहता था। लेकिन एक दिन उसकी जिंदगी एक ऐसे मोड़ पर आकर रुकी, जहां वह जानता था कि वह एक खतरनाक सिलसिले का हिस्सा बन चुका है। यह सब तब शुरू हुआ जब एक अजनबी ने उसकी मदद की पेशकश की, जो एक खतरनाक गैंग से जुड़ा था।

एक रात, विवेक अपने दोस्तों के साथ एक पार्टी से लौट रहा था, जब अचानक उसकी कार का टायर फट गया। उसने कार को एक सुनसान रास्ते पर रोक दिया और मदद के लिए फोन किया। तभी एक काले रंग की मोटरसाइकिल पर सवार एक व्यक्ति उसके पास आया। वह व्यक्ति ने मदद के नाम पर उसे अपनी कार में बैठने के लिए कहा, और विवेक ने असहज होते हुए भी उसकी बात मान ली। लेकिन जैसे ही वह उस आदमी की कार में बैठा, उसे महसूस हुआ कि वह सही नहीं कर रहा है।

कुछ ही मिनटों में, वह व्यक्ति उसे एक सुनसान जगह पर ले आया और अचानक उसकी कार रुक गई। "तुम्हारा नाम विवेक है, सही?" उस आदमी ने कहा, और विवेक को इस पर चौंकने में देर नहीं लगी। उसे यह समझ में आ गया कि वह आदमी उसकी पूरी जानकारी पहले से जानता था। "तुम्हारे ऊपर एक बड़ा अपराध का आरोप है।" वह आदमी बोला और अचानक विवेक को महसूस हुआ कि वह अपराधी बन चुका था।

"क्या तुम हमें मदद करोगे?" उस आदमी ने पूछा। विवेक की स्थिति बहुत गंभीर हो चुकी थी। उसने अपना जीवन कभी अपराध की दुनिया से नहीं जोड़ा था, लेकिन अब वह उस दुनिया में फंस चुका था। वह जानता था कि अगर उसने इस मामले में मदद नहीं की, तो वह खुद भी एक अपराध का शिकार हो सकता था। विवेक के दिमाग में डर और उथल-पुथल मची हुई थी, लेकिन एक चीज़ उसने साफ समझी – यह सिलसिला अपराध का अब खत्म नहीं होने वाला था।

जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, विवेक ने महसूस किया कि यह गैंग एक सीरियल अपराधों का हिस्सा है, जिसमें वह अनजाने में शामिल हो गया था। हर कदम पर उसे लगता जैसे वह एक जाल में फंसा जा रहा है, और उसे इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखता। लेकिन एक दिन, जब विवेक को एहसास हुआ कि वह पूरी स्थिति को बदल सकता है, तो उसने भागने का फैसला किया।

विवेक ने अपनी सारी ताकत लगाकर उन लोगों से पीछा छुड़ाने की योजना बनाई। वह रात के अंधेरे में उन सभी अपराधियों से बचकर एक सुरक्षित जगह तक पहुंचने में कामयाब हो गया। लेकिन कहानी का असली मोड़ तब आया जब उसने पाया कि उस गैंग के पीछे एक बड़ा चेहरा था। वह चेहरा कभी उसका परिचित रहा था – वह चेहरा, जिसे उसने हमेशा अपना दोस्त माना था।

विवेक ने जैसे ही उस चेहरे का सामना किया, उसे यह समझ में आ गया कि वह जिस अपराधी से बचने की कोशिश कर रहा था, वह कहीं ना कहीं उसका अपना था। वह आदमी, जो उसे फंसाने की कोशिश कर रहा था, दरअसल उसका पुराना दोस्त था, जिसने अपराध की दुनिया में कदम रखा था। और अब विवेक के सामने सवाल था – क्या वह अपने दोस्त की मदद करेगा या फिर उसे रोकने की कोशिश करेगा?

विवेक के दिमाग में ख्याल आ रहे थे, लेकिन वह किसी न किसी तरह से उस अपराध की दुनिया से बाहर निकलना चाहता था। उसने अंततः फैसला किया कि वह उस दुनिया का हिस्सा नहीं बनेगा। उसने अपने दोस्त को बताया कि वह अब उसके साथ नहीं चल सकता। यह सुनकर उसका दोस्त गुस्से में आ गया, लेकिन विवेक को अब यह समझ में आ चुका था कि सच्ची आज़ादी तभी मिल सकती है, जब वह अपने डर को पीछे छोड़कर सही रास्ते पर चले।

लेकिन विवेक की इस यात्रा में कई मुश्किलें आईं। उसने हर बार कुछ नया सीखा और हर बार अपनी राहों को बदला। वह जानता था कि अब पुलिस के सामने जाकर वह अपनी सफाई दे सकता है, लेकिन वह जानता था कि यह सब कुछ इतना आसान नहीं होगा। वह अब अपराधियों के संपर्क में था, और उसे लगा कि वह कभी भी अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल कर सकता है।

विवेक की आंतरिक जंग लगातार जारी रही, और वह समझने लगा कि यह सब एक बड़े खेल का हिस्सा था। गैंग का चेहरा अब उससे जुड़ा हुआ था, और वह जानता था कि इस खेल में अगर उसने अपनी चाल सही नहीं चली, तो वह अपनी जिंदगी खो सकता था। एक दिन, विवेक ने अपने दोस्त से फिर मुलाकात की और उसे यह बता दिया कि वह अब इस सिलसिले में शामिल नहीं रहेगा।

उसका दोस्त, जिसने उसे कभी अपना सबसे करीबी समझा था, अब दुश्मन बन चुका था। उसने विवेक से कहा, "तुम नहीं समझ रहे हो। तुम अब हमारे बीच हो, और तुम चाहकर भी बाहर नहीं जा सकते।" विवेक को यह महसूस हुआ कि अब यह खेल उसके लिए काफी खतरनाक हो चुका था, और अगर उसे बचना है, तो उसे और भी दूर जाकर अपने कदम उठाने होंगे।

विवेक ने तय किया कि वह इस जाल से बाहर निकलेगा। उसने एक नई योजना बनाई। वह पुलिस के पास जाने से पहले उन लोगों को पूरी तरह से मात देने का विचार कर रहा था। उसकी योजना साफ थी – पहले उन सभी गैंग के सदस्यों को अपने जाल में फंसाना, और फिर पुलिस को सारी जानकारी देना।

एक रात, जब वह गैंग के प्रमुख सदस्यों से मिल रहा था, तो उसे एहसास हुआ कि वह इस खेल में जितना गहरे घुस रहा था, उतना ही वह खुद भी एक अपराधी बनता जा रहा था। उसने अपनी योजना पर विचार किया और इसे बदलने का फैसला किया। विवेक ने तय किया कि वह उन अपराधियों के खिलाफ एक नई रणनीति अपनाएगा, जिससे वह उन तक पहुंच सके और उन्हें पूरी तरह से हराए।

उसने अपने दोस्त को एक आखिरी बार बताया, "मैं अब इस दुनिया से बाहर निकल रहा हूं।" विवेक के शब्दों में एक नई ताकत थी। उसका दोस्त अब पूरी तरह से असहमत था, और उसने विवेक से कहा, "तुमने गलत रास्ता चुना है। अब तुम मेरे खिलाफ हो, और तुम्हें इसका खामियाजा भुगतना होगा।"

विवेक ने अब यह तय कर लिया था कि वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगा। वह जानता था कि पुलिस उसकी मदद कर सकती है, लेकिन सबसे पहले, उसे अपनी राहों को खुद साफ करना था। उसने गैंग के बाकी लोगों को चालाकी से फंसा लिया और जब तक वह समझ पाता, पुलिस आ चुकी थी। उसने उन्हें सारी जानकारी दे दी, और अपराधियों को पकड़ लिया।

पुलिस के द्वारा पकड़े जाने के बाद, विवेक को महसूस हुआ कि उसने सही कदम उठाया। भले ही उसका दोस्त अब उसकी दुश्मनी में बदल चुका था, लेकिन विवेक को यह अहसास था कि सही रास्ते पर चलने से ही उसे सच्ची आज़ादी मिलेगी। अब वह अपने नए जीवन की शुरुआत करने के लिए तैयार था, जहां उसे किसी भी अपराध के साये से मुक्ति मिल चुकी थी।