एक समय की बात है, एक छोटे से बगिया में नन्हे मुन्ने फूल खिला करते थे। ये फूल बहुत ही प्यारे और रंग-बिरंगे थे। हर दिन सुबह सूरज की किरणें उनके ऊपर पड़तीं और वे झिलमिलाते हुए खिलते। इन फूलों की खुशबू पूरे बगिया में फैल जाती, जिससे सभी जानवरों और पक्षियों को बहुत अच्छा लगता।
बगिया के बाकी बड़े-बड़े फूल अपनी शोहरत पर घमंड करते थे, क्योंकि वे बड़े और आकर्षक थे। वे अक्सर नन्हे फूलों से मजाक करते, "तुम छोटे हो, तुम्हारी खुशबू भी छोटी है, तुम कभी बड़े और सुंदर फूलों की तरह नहीं बन सकते।"
नन्हे फूल इन बातों से बहुत दुखी होते, लेकिन वे जानते थे कि अपनी अच्छाई को कभी भी छिपाना नहीं चाहिए। एक दिन बगिया में एक विशाल तूफान आया। हवा इतनी तेज चली कि कई बड़े फूल जड़ से उखड़ गए। नन्हे फूल अपनी छोटी कोंपलें समेटे खड़े रहे।
तूफान के बाद जब सूरज निकला और बगिया में सब कुछ शांत हुआ, तो बड़े फूलों ने नन्हे फूलों से कहा, "हम गलत थे, तुम तो हमें बचाने के लिए खड़े थे। तुम्हारी छोटी कोंपलें हमें बड़ा पाठ पढ़ा गईं। तुमने हमें सिखाया कि किसी के आकार से नहीं, बल्कि उसके दिल और कर्म से उसकी पहचान बनती है।"
नन्हे फूल मुस्कुराए और बोले, "हमने कभी नहीं सोचा कि हमें बड़ी पहचान चाहिए। हम बस अपनी खुशबू फैलाना चाहते थे और यही हमें खुशी देता है।"
इस घटना के बाद बगिया के सभी फूलों ने समझ लिया कि आकार से ज्यादा ज़रूरी है, अपनी अच्छाई को जानना और उसे दुनिया में फैलाना। नन्हे फूल अब गर्व से झूमते हुए बगिया में खड़े रहते थे और उनकी खुशबू अब और भी अधिक महकने लगी थी।
हर दिन बगिया में नए फूल खिलते थे, और नन्हे फूल सभी को यह सिखाते थे कि कोई भी काम छोटा नहीं होता, अगर वह दिल से किया जाए। अब, बगिया में हर एक फूल का महत्व था, चाहे वह बड़ा हो या छोटा।
सीख: "कभी भी अपनी छोटी पहचान से घबराओ नहीं, हर किसी का अपना महत्व होता है। अगर तुम सच्चे दिल से अपनी मेहनत करो, तो तुम भी बड़े बन सकते हो।"
समाप्त