एक छोटे से गाँव में एक प्यारी सी बच्ची रहती थी, जिसका नाम था आस्था। आस्था बहुत ही खुशमिजाज और चुलबुली थी, लेकिन वह अक्सर सोचती थी कि लोग खुश क्यों रहते हैं और कुछ लोग दुखी क्यों होते हैं। आस्था का यह सवाल सभी को परेशान करता था, लेकिन किसी के पास इसका सही जवाब नहीं था।
एक दिन आस्था अपने दादी माँ के पास बैठी थी और उसी सवाल के बारे में सोच रही थी। तभी दादी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुमसे एक कहानी सुनाती हूँ, जो तुम्हारे सवाल का जवाब देगी।" दादी माँ ने कहानी शुरू की:
"बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में पाँच दोस्त रहते थे। ये दोस्त थे - लाल, नीला, पीला, हरा, और सफेद। ये पाँचों रंग बहुत अच्छे दोस्त थे, लेकिन एक दिन इनकी दोस्ती में दिक्कत आ गई।"
"लाल रंग बहुत ही तेज और जोशीला था। वह हमेशा कहता था, 'अगर तुम मुझे देखोगे, तो तुम्हारा दिल खुशी से भर जाएगा!' नीला रंग बहुत शांत था और वह हमेशा कहता, 'मैं तो केवल शांति और ठंडक देता हूँ, मैं किसी को खुशी नहीं दे सकता।' पीला रंग अपने आप में बहुत चंचल था, लेकिन वह अक्सर सोचता था, 'क्या मैं सच में किसी के जीवन में कोई फर्क डाल सकता हूँ?' हरा रंग जीवन और हरियाली का प्रतीक था, लेकिन उसे कभी किसी के जीवन में रंग भरने का मौका नहीं मिला। और सफेद रंग तो बस शांत रहता था, उसे लगता था कि किसी को भी उसे कभी नहीं देखता।"
"एक दिन गाँव में एक जादुई घटना घटी। अचानक एक चमत्कारी आवाज आई, और सब रंग एक-दूसरे के पास गए। जादुई आवाज ने कहा, 'तुम सभी के पास कुछ विशेष गुण हैं, लेकिन जब तक तुम सब एक साथ नहीं आओगे, तब तक तुम किसी को भी खुश नहीं कर पाओगे। तुम्हें एकजुट होकर अपने गुणों को मिलाना होगा।' फिर क्या था, सभी रंगों ने एक साथ मिलकर अपने गुणों को मिलाया। लाल ने जोशीला रंग, नीला शांति का रंग, पीला खुशी का रंग, हरा जीवन का रंग और सफेद ने शांति और नयापन दिया। जब इन सभी रंगों ने एक साथ मिलकर काम किया, तो उनकी मिलीजुली चमक ने सबको खुश कर दिया।"
"तभी से गाँव के लोग महसूस करने लगे कि रंगों का मिलन उनके जीवन को खुशनुमा बना सकता है। अब जब भी किसी के दिल में उदासी होती, वह इन पाँचों रंगों के बारे में सोचता और एक पल में खुशी महसूस करता।"
दादी माँ ने कहानी खत्म की और कहा, "आस्था, रंगों का जादू हमें सिखाता है कि जीवन में हर रंग का महत्व है। हर रंग हमें कुछ न कुछ सिखाता है और हमें अपने जीवन में खुश रहने के लिए हर रंग का स्वागत करना चाहिए।"
आस्था ने दादी माँ की बातें ध्यान से सुनी और सोचा, "हाँ, हर रंग का अपना महत्व है। मुझे भी अपने जीवन में हर रंग की तरह खुश रहना चाहिए।" तब से आस्था ने यह सीखा कि खुश रहना किसी भी स्थिति में केवल हमारे विचारों पर निर्भर करता है। और अब वह हमेशा खुश रहती थी, जैसे गाँव में पाँच रंगों ने मिलकर खुशियाँ फैलायीं।
सीख: "जिंदगी में हर रंग का महत्व है। कभी भी किसी रंग को कम मत समझो, क्योंकि वह अपने तरीके से हमें खुशियाँ और समझ देता है।"
समाप्त