रोहन, एक 30 वर्षीय युवा, अपनी जीवन की एक बुरी घटना के बाद, खोई हुई चीज़ों और रिश्तों की तलाश में था। यह घटना एक साल पहले घटी थी, जब उसकी प्रेमिका, सिया, बिना किसी जानकारी के अचानक गायब हो गई थी। पुलिस ने उसे खोजने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला। रोहन के दिल में एक खालीपन था, और वह खुद को लगातार इस सवाल से घिरा पाता था—"क्या हुआ था सिया को?"।
एक दिन, रोहन को अपने पुराने घर की छत पर एक अजीब निशान मिला। यह एक छोटा सा निशान था—लगभग घिसा हुआ, लेकिन उस निशान में कुछ ऐसा था, जो उसे सिया से जोड़ता था। वह निशान एक गहरे लाल रंग का था, जो किसी प्रकार से खून या रंगीन पेंट की तरह दिख रहा था। रोहन के मन में यह सवाल उठने लगा कि क्या यह निशान सिया से जुड़ा हुआ हो सकता है? क्या यह उसे किसी सुराग की ओर ले जाएगा?
रोहन ने उस निशान को ध्यान से देखा और फिर पूरी छत की जाँच करना शुरू किया। कुछ देर बाद, वह एक टूटी हुई लकड़ी की छिपी हुई जगह के पास पहुँचा। उसने जोर से उस जगह को खटखटाया, और अचानक से वह जगह खुल गई। उसके अंदर एक पुरानी डायरी रखी हुई थी। डायरी में कुछ पन्नों पर गहरे निशान थे, जैसे कोई छुपा हुआ संदेश लिखा गया हो। उस डायरी के पन्नों को पलटते हुए, रोहन की आँखों में एक अजीब सी चमक आ गई। क्या ये संकेत उसे सिया की तलाश में मदद करेंगे?
डायरी में एक अजीब संदेश था—"तलाश के निशान, जो तुमने पाया है, तुम्हें सत्य तक पहुँचने में मदद करेंगे, लेकिन ध्यान रखना, रास्ता खतरनाक हो सकता है।" रोहन को अब यह समझ में आ गया कि सिया की गायब होने के पीछे कुछ बहुत बड़ा रहस्य था, और यह निशान उसे उस रहस्य तक पहुँचाने वाला था। उसने फैसला किया कि वह इस रहस्य को सुलझाएगा, चाहे उसे कितनी भी परेशानियों का सामना क्यों न करना पड़े।
वह निशान उसे शहर के बाहरी इलाके में एक पुरानी हवेली की ओर ले गया। हवेली का दरवाजा खुला हुआ था, लेकिन अंदर की स्थिति डरावनी थी। फर्श पर खून के धब्बे थे, और दीवारों पर कुछ अजीब से निशान बने हुए थे। रोहन ने हवेली में प्रवेश किया और धीरे-धीरे अंदर की ओर बढ़ने लगा। जैसे-जैसे वह हवेली के अंदर बढ़ता गया, वह निशान और स्पष्ट होते गए। उसे लगा जैसे यह निशान उसे सिया की ओर ले जा रहे हों।
एक कमरे में उसने देखा कि दीवार पर सिया का नाम लिखा हुआ था। यह देखकर उसके दिल की धड़कन तेज हो गई। अचानक, कमरे का दरवाजा बंद हो गया और रोहन को एक रहस्यमयी आवाज सुनाई दी। "तुमने जो खोजा है, वह तुमसे छुपाया गया था। क्या तुम तैयार हो सच जानने के लिए?" वह आवाज गहरी और भयावह थी, लेकिन रोहन ने डर को नकारते हुए आवाज का पीछा किया।
आवाज उसे एक कमरे में लेकर गई, जहाँ एक पुरानी मशीन रखी हुई थी। मशीन के पास एक बड़ी स्क्रीन थी, और स्क्रीन पर सिया का चेहरा दिखने लगा। सिया की आँखों में डर था, और वह जैसे किसी से मदद मांग रही थी। अचानक, स्क्रीन पर एक संदेश आया: "तुम्हारी खोज अभी पूरी नहीं हुई है, तुम्हें अगले निशान की तलाश करनी होगी।" यह सुनकर रोहन चौंक गया। उसने कभी नहीं सोचा था कि यह पूरा मामला इससे कहीं बड़ा होगा।
रोहन को अब यह समझ में आ गया कि वह एक ऐसी रहस्यमयी दुनिया में फंस चुका था, जहाँ हर निशान एक नई खोज का हिस्सा था। उसने डायरी में मिले संदेश को याद किया और फिर एक गहरी सांस ली। "तलाश के निशान" उसे उस खतरनाक सत्य की ओर ले जा रहे थे, जो उसने कभी सोचा भी नहीं था। क्या वह सिया तक पहुँच पाएगा, या यह खतरनाक खेल उसे कहीं और ले जाएगा?
जैसे-जैसे वह निशान तलाशता गया, रोहन को एहसास हुआ कि उसे अब सिर्फ सिया की तलाश नहीं करनी है, बल्कि उसे इस रहस्य से जुड़े खतरों का सामना भी करना होगा। यह यात्रा उसे कभी भी वापस लौटने का मौका नहीं देगी, और वह जल्द ही समझ जाएगा कि हर निशान उसके जीवन को बदलने के लिए बना था।
जब वह हवेली की गहराईयों में उतर रहा था, उसे एक और निशान मिला, लेकिन यह पहले से ज्यादा खतरनाक था। वह एक खड़ी दीवार पर था, जहाँ से एक गहरी सुरंग खुल रही थी। सुरंग के भीतर जाने की उसकी हिम्मत जवाब दे रही थी, लेकिन सिया की याद ने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उसने गहरी सांस ली और सुरंग में कदम रखा।
सुरंग के भीतर अंधेरा था, और रोहन को किसी भी दिशा में जाना मुश्किल हो रहा था। अचानक, उसे एक और आवाज सुनाई दी, जो उसकी पीठ के पीछे से आई। यह आवाज सिया की थी, लेकिन उसकी आवाज में घबराहट और डर था। "तुम कहाँ हो, सिया?" रोहन चिल्लाया, लेकिन आवाज़ का कोई जवाब नहीं आया। उसकी घबराहट बढ़ रही थी।
रोहन को सामने एक और स्क्रीन नजर आई, जिस पर एक नया संदेश लिखा था। "तुमारे सवालों के जवाब मिलेंगे, लेकिन तुम खुद को खो दोगे। क्या तुम सच में जानने के लिए तैयार हो?" यह संदेश पढ़कर उसका मन और भी भ्रमित हो गया। क्या वह सच में इस रहस्य का सामना करने के लिए तैयार था?
जैसे ही उसने आगे बढ़ने का निर्णय लिया, एक खौ़फनाक आवाज आई, "तुम गलत रास्ते पर हो, रोहन। तुम्हें सिया का नहीं, तुम्हारी किस्मत का सामना करना होगा।" वह आवाज मानो कहीं गहरे से आती हुई महसूस हुई। रोहन को समझ में आया कि वह एक बड़ी साजिश का हिस्सा बन चुका था, और सिया शायद उस साजिश का केवल एक हिस्सा थी।
कुछ कदम और बढ़ते ही, वह एक बड़े कमरे में पहुँचा, जहाँ सिया बंधी हुई थी। उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे, और उसकी आँखों में वही डर था, जो पहले स्क्रीन पर दिखाई दे रहा था। रोहन ने दौड़ते हुए उसकी ओर बढ़ते हुए कहा, "सिया, तुम ठीक हो?" लेकिन अचानक कमरे की दीवारें दरकने लगीं, और पूरा कमरा धरती के भीतर समाने लगा।
"सिया!" रोहन चीखा, लेकिन सिया का चेहरा अब एक खौ़फनाक रूप में बदल चुका था। अचानक, दीवारों से एक धुंध निकली, और रोहन के सामने एक नए चेहरे की परछाई बन गई। वह चेहरा अजनबी था, और उसमें कुछ भयंकर दृषटियाँ थीं। "तुमने जो खोजा, वह कभी तुम्हारे लिए नहीं था, रोहन। अब तुम हमारी दुनिया का हिस्सा हो," वह आवाज गहरी और रहस्यमयी थी।
अब रोहन को यह समझ में आ चुका था कि वह एक खेल का हिस्सा बन चुका था, जिसका नियंत्रण किसी और के हाथ में था। सिया और वह, दोनों ही इस रहस्यमयी जाल में फंस चुके थे। क्या अब वह कभी सच को जान पाएगा? क्या सिया सुरक्षित होगी, या यह रहस्य उसे हमेशा के लिए अपने कब्जे में ले लेगा?